अजमेर का दरगाह शरीफ कई मायनो में ख़ास है. फिल्म स्टार हो, क्रिकेटर हो या फिर राजनेता, सभी ने इस दरगाह में अपनी खुशहाली की दुआ मांगी है. कहते है अजमेर शरीफ में मांगी गयी हर दुआ कबूल होती है. इस दरगाह को लेकर किन्नरों में भी बड़ी आस्था है. हर साल उर्स के मौके पर देशभर से कई किन्नर यहाँ मत्था टेकने आते है. देश में किन्नरों की सबसे बड़ी गद्दी भी यहीं है. लेकिन आज जो हम आपको बताने जा रहे है वो दरगाह शरीफ के बारे में नहीं बल्कि उन्ही के शहर में स्थित एक और दरगाह है और इस दरगाह के चमत्कारी पेड़ के बारे में है.
मीरां सैयद हुसैन खिंगसवार की इस दरगाह में एक करिश्माई लाल बूँदी का पेड़ है. इस पेड़ के बारे में कहा जाता है कि जो भी इस पेड़ का फल खाता है वो कभी बेऔलाद नहीं रहता. माना जाता है कि एक बार एक किन्नर ने पेड़ का फल खा लिया और फिर जो हुआ वो यकीन के परे था. फल के चमत्कार से किन्नर गर्भवती हो गयी और उसने एक लड़के को जन्म दिया. कहते है, जो लोग ख्वाजा मोइनुद्दीन चिस्ती की दरगाह पर जाते हैं वह तारागढ़ पहाड़ पर मौजूद इस दरगाह में आ सर झुकाना नहीं भूलते.
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