बॉलीवुड फिल्मों के अभिनेता इमरान खान, जो हाल ही में बड़े पर्दे से गायब रहे हैं, ने हाल ही में एक दिलचस्प खुलासा किया है। इमरान, जो आमिर खान के भतीजे हैं तथा जिन्होंने फिल्म 'जाने तू या जाने ना' (2008) से अपने करियर की शुरुआत की थी, अब कमबैक की योजना बना रहे हैं। उन्होंने एक्टर्स के ऊपर मस्क्युलिन दिखने के दबाव के बारे में अपनी राय साझा की है और इस प्रेशर के कारण स्टेरॉयड लेने के अपने अनुभव को भी उजागर किया है।
इमरान ने कहा कि ऐतिहासिक रूप से महिलाओं पर 'अट्रैक्टिव' और 'रिंकल-फ्री' रहने का दबाव रहा है, मगर इस दबाव ने पुरुषों को भी प्रभावित किया है। विशेषकर हिंदी और वेस्टर्न सिनेमा में सुपरहीरो फिल्मों की लोकप्रियता के बाद, यह दबाव और भी बढ़ गया है। उन्होंने बताया कि 90 के दशक में भी सलमान खान तथा संजय दत्त की मस्क्युलिन छवि ने दर्शकों पर एक प्रभाव डाला। इस दबाव ने उन्हें भी स्वयं को मस्क्युलिन दिखाने की कोशिश करने के लिए प्रेरित किया।
इमरान ने स्वीकार किया कि इस दबाव के चलते उन्होंने स्टेरॉयड का इस्तेमाल किया। उनका कहना था, "मैंने लंबे समय तक इस प्रेशर को निभाने की कोशिश की, लेकिन मैं 'कैप्टन अमेरिका' या 'थॉर' जैसी बॉडी नहीं बना सका। मैंने सब कुछ किया, स्टेरॉयड का भी इस्तेमाल किया, लेकिन इसका असर लंबे समय तक नहीं रहा।" इमरान आखिरी बार फिल्म 'कट्टी बट्टी' में दिखाई दिए थे, जो बॉक्स ऑफिस पर असफल रही थी। उन्होंने बताया कि जब उन्हें लगा कि वह अपनी सच्चाई से दूर हो रहे हैं, तो उन्होंने फिल्मों से दूरी बना ली।
उन्होंने कहा, "एक्टर होना मेरी जॉब नहीं है। अगर मैं चाहूं, तो एक्टर बन सकता हूं; मगर यदि मैं यह सब नहीं चाहता, तो मैं एक्टर नहीं बन सकता। यह ऑप्शनल था, खुद को ठीक करना ऑप्शनल नहीं है।" इस खुलासे के साथ, इमरान खान ने एक बार फिर से दिखाया है कि कैसे सिनेमा इंडस्ट्री के दबावों ने व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित किया है तथा इसने उनकी यात्रा को किस प्रकार आकार दिया है।
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