इन राजाओं ने किया था 2700 बाघों का शिकार
इन राजाओं ने किया था 2700 बाघों का शिकार
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भोपाल: मध्यप्रदेश को बाघों का गढ़ माना जाता है। आज विश्व बाघ दिवस है, बाघों के संरक्षण के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए इस दिवस को मनाया जाता है। पूरे विश्व में बाघों की संख्या ज्यादा नहीं है लेकिन फिर भी सबसे अधिक बाघ भारत में ही पाए जाते हैं। इनके अस्तित्व पर लगातार खतरा मंडरा रहा है, जिसे देखते हुए जागरूकता फैलाने हेतु बाघ दिवस मनाया जाता है। हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के सीधी जिले में स्थित संजय टाइगर रिजर्व की जहां पर इन दिनों सफेद बाघ के शावकों की किलकारियां गूंज रही है। आपको बता दें कि लंबे समय बाद एक बाघिन द्वारा दो शावकों को जन्म दिया गया है, यह शावक अब तक 1 माह के हो चुके हैं। 

ऐसा कहा जाता है कि मध्यप्रदेश के सीधी जिले के संजय टाइगर रिजर्व में करीब 7 किलोमीटर अंदर घने जंगलों के बीच भालू तथा बाघों की पूरी श्रंखला यहां मौजूद हैं। इसी क्षेत्र से विश्व के प्रथम संरक्षित सफेद बाघ को कैद किया गया था। विश्व को सफेद बाघ का उपहार देने वाला यह संजय टाइगर रिजर्व एक बार पुनः बाघों से आबाद होता दिखाई दे रहा है। ऐसा माना जाता है कि इस क्षेत्र में बाघों की आबादी दुनिया भर में सबसे अधिक रही होगी, क्योंकि इसी जंगल के छत्तीसगढ़ प्रदेश वाले हिस्से में आज से कई वर्षों पहले लगभग 1600 बाघों का वध करके सरगुजा के राजा रामानुज शरण देव ने विश्व रिकॉर्ड बनाया था। 

वर्षों पूर्व रीवा राज्य के हिस्से में आने वाले जंगल में महाराजा रघुराज सिंह से लेकर आखिरी महाराजा मार्तंड सिंह तक चार महाराजाओं ने शिकार हेतु आमंत्रित अंग्रेजों व राजे रजवाड़ों समेत मिलकर 2700 बाघों का वध किया था। तब के राजे रजवाड़े बाघों का शिकार करना अपना पराक्रम मानते थे और अपनी पदवी के साथ इसका उल्लेख करते थे। इस राज्य के अंग्रेज प्रशासक उल्ड्रिच ने बाघों के शिकार का सैकड़ा पार किया था। अंग्रेज प्रशासक द्वारा झिरिया के जंगल में एक जवान सफेद बाघ का शिकार किया था। इतिहासकारों ने बताया कि यहां के राजे रजवाड़ों का बाघों का शिकार करना मुख्य पेशा था।

पंडित नेहरू को रीवा राज्य के महाराज ने एक जवान बाघ के शेर की रक्त रंजीत ट्रॉफी के साथ खाल भी भेंट की थी। जिसे देखकर इंदिरा गांधी का दिल दहल गया था और आंखों में आंसू आ गए थे और उन्होंने कहा था कि काश आज यह जंगल में दहाड़ रहा होता राजीव गांधी को लिखे अपने एक पत्र में इंदिरा गांधी ने यह एक मार्मिक ब्यौरा दिया था। आपको बता दें की प्रधानमंत्री बनने के बाद इंदिरा गांधी ने वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट समेत वन से जुड़े सभी कड़े कानून संसद में पास करवाएं और राष्ट्रीय उद्यान, टाइगर रिजर्व व अभ्यारण अधिसूचित करवाएं। वन व वन्य जीवो के प्रति प्रेम दया रखने वाली पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के संकल्प से ही इतने अभ्यारण व टाइगर रिजर्व बन पाए है।

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