विद्यार्थी कभी न माने हार, सफलता के लिए करें ये प्रयास

विद्यार्थी कभी न माने हार, सफलता के लिए करें ये प्रयास
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बारहवीं के नतीजे आ चुके हैं...कहीं टॉपर्स की बात हो रही है,तो कहीं 100 स्कोर करने वालों की। कुछ लोगों को बस यह मलाल है कि वे 100 से कुछ अंक दूर रह गए तो कुछ इस बात से दुखी हैं कि उनके माक्र्स 95 पर्सेंट को क्रॉस नहीं कर पाए। इन सभी चर्चाओं से दूर कुछ ऐसे स्टूडेंट्स भी हैं, जो किसी न किसी कारण से फेल हो गए हैं। 100-100 के स्कोर और 99 पर्सेंट के फेर में उलझकर यदि वे बच्चे अपने आप को या उनके पेरेंट्स उन्हें नाकाबिल समझने लगेंगे तो आगे बढऩे की हिम्मत जुटानी बहुत मुश्किल हो जाएगी। इसलिए अगर आपके अपने या किसी जानकार का प्रदर्शन इन बोर्ड एग्जाम्स में अच्छा नहीं रहा है तो भी इसे अंत न मान लें। ऐसे बहुत से एग्जाम आगे भी आएंगे, जो आपको आपकी योग्यता का सही प्रदर्शन करने का अवसर एक बार फिर देंगे। इसलिए इस समय अपनी हिम्मत बनाकर रखिए और आगे की ओर देखें।

 

बोर्ड की परीक्षा में सभी स्टूडेंट्स पास होने के इरादे से ही बैठते हैं। किसी के अंक बहुत अच्छे आ जाते हैं तो किसी को मनमाफिक अंक नहीं मिल पाते। यहां जरूरी यह है कि आप अंकों के इस फेर में खुद को इस कदर न उलझा लें कि इससे पार कुछ देख ही न सकें। यदि किसी भी कारणवश आपके अंक कम आए हैं या आप पास नहीं कर पाए हैं तो यह जान लें कि यह कोई अंतिम एग्जाम नहीं था.इससे वास्तव में आपके जीवन में कहीं भी कु छ भी खत्म नहीं हुआ


अकेले नहीं आप
अंक कम आने पर या फेल हो जाने पर खुद को अकेला न कर लें। आप अकेले नहीं हैं, जो फेल हुए हैं। दुनिया में बड़ी-बड़ी हस्तियां हुई हैं, जो किसी न किसी एग्जाम में फेल हुई हैं। परिवार वालों और दोस्तों के बीच बैठिए। इस यकीन के साथ कि अगली बार आप बेहतर करेंगे और यह यकीन खोखला न हो, मजबूत हो।


करना है रीस्टार्ट
हार स्वीकार करने के पीछे का सबसे बड़ा मोटिव यह है कि आप खुद को रीस्टार्ट के लिए तैयार कर सकते हैं। खुद से वादा करें कि जो कमियां इस बार रह गई हैं, उन्हें आप दोहराएंगे नहीं। पढ़ाई के लिए दूसरों से मदद लेने से कतराएंगे भी नहीं। यह रीस्टार्ट आपकी इच्छाशक्ति पर निर्भर है, उसे मजबूत रखें।


करें स्वीकार
भले ही आपको और आपके पेरेंट्स को आपसे बहुत उम्मीदें रही हों और रिजल्ट मनमाफिक नहीं आया हो, तब भी खुद को कोसें नहीं। इससे कुछ नहीं होगा। सबसे पहले स्वीकार करें कि आपका रिजल्ट मनचाहा नहीं आया है। इसके बाद आपको विश्लेषण में आसानी होगी। विश्लेषण के बाद ही पता लगेगा कि कमी किस जगह पर रह गई थी? और कमी का पता लगने के बाद ही आप उसे दूर करने का प्रयास कर पाएंगे।


पेरेंट्स करें मदद
इस स्थिति में बच्चों का सबसे बड़ा संबल अगर कोई बन सकता है तो वे हैं उनके पेरेंट्स। निश्चित तौर पर आपको उनके प्रदर्शन से निराशा हुई होगी लेकिन आपने खुद जीवन में अपने आपको और दूसरों को विफल होते और फिर सफलता की सीढिय़ां चढ़ते देखा होगा। यदि आप या वे लोग विफलता से हार मान जाते तो क्या वे जीवन का आनंद ले पाते? आपको भी यही बात अपने बच्चों को समझानी है और आगे अच्छे प्रदर्शन के लिए प्रेरणा देनी है। बच्चों को अकेला छोडऩा गलत होगा। उनका मनोबल भी गिरने नहीं देना है।

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