इसलिए वर्जित है ब्राह्मणों के लिए लहसुन और प्याज
इसलिए वर्जित है ब्राह्मणों के लिए लहसुन और प्याज
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आज के समय फसलों में मुख्य रूप से प्याज व लहसुन का उपयोग किया जाता है, जो की भोजन को स्वादिष्ट बनाने में सहायक होता है किन्तु क्या आप जानते है कि ब्राम्हण इसका उपयोग अपने भोजन में क्यों नहीं करते है ?. इसका क्या कारण है कि आज भी ब्राम्हण समाज के लोग प्याज व लहसुन को खाना वर्जित मानते है. आइये जानते है.

ब्राह्मणों के प्याज व लहसुन न खाने के पीछे बहुत सी मान्यताएं है जिसके अनुसार जब देवों व दानवों ने मिलकर अमृत की प्राप्ति हेतु समुद्र मंथन किया था उस समय अमृत देवों के भाग में आया था जिसे भगवान विष्णु सभी देवों में वितरित कर रहे थे उसी समय राहु ने छल से देवताओं का रूप धारण कर अमर होने के उद्देश्य से अमृत प्राप्त किया जैसे ही इस बात की जानकारी भगवान विष्णु को हुई तो उन्होंने अपने सुदर्शन से राहु का शीश उसके धड़ से अलग कर दिया.

माना जाता है कि राहु का शीश जिस समय उसके शरीर से अलग हुआ उसी समय खून की कुछ बूँदें नीचे पृथ्वी पर गिर गई जिससे प्याज और लहसुन की उत्पत्ति हुई इसी वजह से इन्हें खाने से ब्राहमण को अशुद्ध मानते है तथा इसे अपने भोजन के रूप में ग्रहण नहीं करते ब्राहमणों का मानना है कि प्याज व लहसुन में असुरों का वास होता है.

एक अन्य मान्यता के अनुसार प्याज व लहसुन को तामसिक भोजन माना जाता है तथा इसे खाने से व्यक्ति के अन्दर तामसिक भावना क्रोध. अहंकार, कामुकता, विनाश आदि उत्पन्न होते है जिसके कारण व्यक्ति का मन अशुद्ध होता है और उसमे तामसिक प्रवृत्ति का जन्म होता है जिसके कारण ब्राहमण इसे खाना वर्जित मानते है.

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