इन जगहों पर हैं माता दुर्गा के 9 स्वरूपों के मंदिर

इन जगहों पर हैं माता दुर्गा के 9 स्वरूपों के मंदिर
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नवरात्रि का पर्व शक्ति और भक्ति का प्रतीक है, जिसमें माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। यह पर्व हर साल आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होता है और नवमी तक चलता है। इस दौरान भक्तजन माता के विभिन्न स्वरूपों की उपासना करते हैं। भारत के विभिन्न हिस्सों में माता दुर्गा के इन स्वरूपों के मंदिर हैं, जिनमें से कुछ प्रसिद्ध हैं। आइए विस्तार से जानते हैं माता दुर्गा के नौ स्वरूपों के मंदिर और उनके साथ जुड़ी रोचक बातें।

1. माता शैलपुत्री मंदिर, काशी
शैलपुत्री का अर्थ है "हिमालय की पुत्री"। मान्यता है कि देवी दुर्गा का यह पहला स्वरूप काशी में अवतरित हुआ। शैलपुत्री का मंदिर काशी के घाट पर स्थित है। यहाँ माता की पूजा विशेष रूप से उन लोगों द्वारा की जाती है, जो जीवन में नई शुरुआत करना चाहते हैं। कहा जाता है कि माता के दरबार में सच्चे मन से की गई प्रार्थना से सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं।

2. मां ब्रह्मचारिणी मंदिर, वाराणसी
ब्रह्मचारिणी का अर्थ है "तप की चारिणी"। माता पार्वती का यह स्वरूप तप और साधना का प्रतीक है। वाराणसी के बालाजी घाट पर स्थित इस मंदिर में माता की पूजा से भक्तों को आत्मिक शक्ति और संकल्प की दृढ़ता प्राप्त होती है। यह मान्यता है कि माता ने कठोर तपस्या के बाद भगवान शिव को पति के रूप में पाया। इस मंदिर में भक्त विशेष रूप से संतान सुख और विवाह के लिए पूजा करते हैं।

3. मां चंद्रघंटा मंदिर, प्रयागराज
चंद्रघंटा का स्वरूप माता का तीसरा रूप है। इनके सिर पर घंटे के आकार का अर्द्धचंद्र स्थित है, जो शांति और समृद्धि का प्रतीक है। प्रयागराज में स्थित इस मंदिर को क्षेमा माई मंदिर भी कहा जाता है। चंद्रघंटा देवी की पूजा से मानसिक शांति और भय का नाश होता है। भक्त यहां अपने संकटों से मुक्ति पाने के लिए माता से आशीर्वाद मांगते हैं।

4. कूष्मांडा मंदिर, कानपुर
कूष्मांडा का अर्थ है "जो अपने भीतर ब्रह्मांड को समाए हुए हैं।" कानपुर के घाटमपुर ब्लॉक में स्थित इस मंदिर में देवी की पूजा से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। भक्त यहां स्वास्थ्य लाभ और समृद्धि के लिए माता से आशीर्वाद मांगते हैं। कहा जाता है कि देवी कूष्मांडा ने ब्रह्मांड का सृजन किया था, इसलिए उनकी पूजा से समस्त कल्याण की कामना की जाती है।

5. स्कंदमाता मंदिर, वाराणसी
स्कंदमाता का मंदिर वाराणसी में स्थित है। यह देवी भगवान स्कंद की माता हैं और इन्हें "सुख देने वाली" के रूप में पूजा जाता है। वाराणसी में इस मंदिर के अलावा हिमाचल प्रदेश के खखनाल में एक गुफा मंदिर भी है। स्कंदमाता की पूजा से भक्तों को समस्त सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। देवी का आशीर्वाद पाने के लिए लोग यहां विशेष रूप से संतान सुख की कामना करते हैं।

6. कात्यायनी मंदिर, एवेर्सा
कात्यायनी देवी की प्रसिद्धि कर्नाटक के अंकोला के पास एवेर्सा में स्थित मंदिर से है। यह मंदिर कात्यायनी बाणेश्वर के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा मथुरा के भूतेश्वर में भी कात्यायनी वृंदावन शक्तिपीठ स्थापित है। मान्यता है कि यहां माता सती के केशपाश गिरे थे। कात्यायनी की पूजा से व्यक्ति को कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति मिलती है, और यह स्वरूप विशेष रूप से विवाह की इच्छाओं को पूर्ण करने के लिए पूजित है।

7. कालरात्रि मंदिर, वाराणसी
कालरात्रि माता की सातवीं शक्ति हैं। वाराणसी में स्थित उनका मंदिर विशेष रूप से रात में पूजा के लिए जाना जाता है। यह स्वरूप संकटों का नाश करने वाली मानी जाती हैं। देवी ने राक्षसों का वध कर धर्म की रक्षा की है, इसीलिए इन्हें कालरात्रि कहा जाता है। भक्त यहां विशेष रूप से अपने दुख-दर्द से मुक्ति पाने के लिए माता से प्रार्थना करते हैं।

8. महागौरी मंदिर, लुधियाना
महागौरी का रंग अत्यंत गौर (श्वेत) है, इसीलिए इन्हें महागौरी कहा जाता है। लुधियाना में स्थित इस मंदिर में माता की पूजा से व्यक्ति को पवित्रता और शुद्धता की प्राप्ति होती है। इसके अलावा वाराणसी में भी महागौरी का एक मंदिर है। भक्तजन मानते हैं कि शिव की प्राप्ति के लिए किए गए तप से देवी का रंग काला पड़ गया था, लेकिन शिव ने उन्हें पुनः गौरवर्ण बना दिया। यह स्वरूप विशेष रूप से भक्ति और श्रद्धा के साथ पूजा जाता है।

9. माता सिद्धिदात्री मंदिर, सतना
सिद्धिदात्री माता दुर्गा की नवीं शक्ति हैं, जिनका मंदिर मध्य प्रदेश के सतना, सागर, वाराणसी और छत्तीसगढ़ के देवपहाड़ी में स्थित है। इस स्वरूप की पूजा से भक्त को सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति होती है। सिद्धिदात्री माता का आशीर्वाद पाने के लिए भक्त विशेष रूप से ध्यान और साधना करते हैं। यह मान्यता है कि इस स्वरूप की आराधना से सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

नवरात्रि के इन नौ दिन में माता दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा करना न केवल श्रद्धा का काम है, बल्कि यह आत्मिक विकास और शक्ति का स्रोत भी है। भक्तजन इन मंदिरों में जाकर माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं। इस पर्व के दौरान विशेष उत्सव, मेले और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जो भक्ति भाव और सामुदायिक एकता का प्रतीक होते हैं।

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