आखिर किस तरह खोदी थी अब्दुल हामिद ने अमेरिकी टैंको की कब्र
आखिर किस तरह खोदी थी अब्दुल हामिद ने अमेरिकी टैंको की कब्र
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भारत देश के परमवीर चक्र महान विजेता वीर कम्पनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद मसऊदी (अब्‍दुल हामिद) का नाम भारतीय सेना के इतिहास में स्‍वर्ण अक्षरों से लिखा गया है। वर्ष 1965 में पाकिस्‍तान ने भारत में अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की थी,जिसके मद्देनजर ऑपरेशन जिब्राल्टर की शुरुआत हुई थी। इसके तहत पाकिस्तानी सेना ने जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ और हमला करने के साथ-साथ दूसरे मोर्चों पर भी भारत को घेरने की योजना बनाई थी। इसके दौरान पकड़े गए पाकिस्‍तान के घुसपैठियों से इस बात का खुलासा हुआ था कि कश्मीर पर डेरा डालने की मंशा से पाकिस्‍तान 30 हजार जवानों को गुरिल्‍ला वार की ट्रैनिंग दी है। 8 सितंबर 1965 को पाकिस्‍तान ने खेमकरण सेक्‍टर के उसल उताड़ गांव पर जबरदस्‍त हमला किया। जहा पर उनके साथ पैदल सेना के साथ पैटन टैंक भी थे। वहीं भारतीय जवानों के पास पाकिस्तान से मुकाबले के लिए थ्री नॉट थ्री रायफल और एलएमजी ही थीं। इसके अलावा थी गन माउनटेड जीप।

इस भीषण हमले में उन्होंने ने अकेले अपने ही दम पर 1965 में खेमकरण सेक्‍टर के उसल उताड़ गांव में पाकिस्‍तान से हुए युद्ध में उसके सात पैटन टैंकों को उड़ा दिया था। इस हमले से पहले इन पैटन टैंकों को हारा हुआ समझा जाता था। परन्तु पाकिस्‍तान सेना की तरफ से शामिल इन टैंकों के आगे भारतीय सेना बेहद कमजोर थी। इन टैंकों के रहते भारत की पैदल सेना का मुकाबला अत्यंत मुश्किल था और हर मोड़ पर इनके द्वारा निकलने वाले गोले भारतीय सेना पर घातक प्रहार कर रहे थे। जिसका सामना करना  भारतीय सेना के लिए असंभव था. ऐसी स्थिति में अब्‍दुल हामिद ने अपनी गन माउंटेड जीप से एक-एक कर सात टैंकों पर सटीक निशाना लगाकर पाकिस्‍तान की आर्टिलरी के पांव उखाड़ दिए थे। जिसमे उनको निशाना बनाकर कई हमले किए गए। इनमें जीप पर सवार उनके अन्‍य साथी हमले में मारे गए लेकिन इसके बावजूद हामिद ने हिम्‍मत नहीं हारी। वे लगातार अपनी पॉजीशन बदलते रहे और चोट लगने के बावजूद अचूक निशाने से पैटन टैंकों की कब्र खोदते चले गए।

ऐसे में पाकिस्‍तान की सेना में इसकी वजह से खलबली मच गई थी। वहीं एक के बाद एक ध्‍वस्‍त होते पाकस्‍तानी टैंकों से भारतीय जवानों का हौसला कई गुना बढ़ गया था तथा वे और तेज़ी के साथ उनकी और हमले कर रहे थे.और वो पाकिस्‍तान की सेना पर कहर बरपा रहे थे। 9 सितंबर को एक पाकिस्‍तान के पैटन टैंक ने अब्‍दुल हामिद की जीप को निशाना बनाकर जोरदार हमला किया जो सीधे निशाने पर जाकर लगा और अब्‍दुल हामिद अपनी जीप के साथ कई फीट ऊपर तक उछल गए। इस निशाने में दुश्‍मन का गोला ठीक उनकी जीप पर लगा था और वो बुरी तरह से घायल हो गए थे। कुछ देर के बाद उन्‍होंने युद्धभूमि में ही अंतिम साँस ली और वही अपना दम तोड़ दिया। 10 सितंबर को उनके वीरगति को प्राप्‍त होने की आधिकारिक सूचना दी गई थी। 

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