मतदाताओं को दिया जा रहा इन नशीले पदार्थो का प्रलोभन
मतदाताओं को दिया जा रहा इन नशीले पदार्थो का प्रलोभन
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दिल्ली: विधानसभा चुनाव के चलते एक अधिकारी ने बताया कि पिछले साल लोकसभा चुनाव के दौरान दिल्ली में पकड़ी गई 83 किग्रा हेरोइन की जगह इस विधानसभा चुनाव में गांजे का सहारा लिया जा रहा है. दिल्ली चुनाव के नजदीक आते है. आपराधिक छवि के उम्मीदवारों की बढ़ती आमद के साथ ही चुनाव में मतदाताओं को लुभाने के लिये इस तरह के हत्कंडे अपना रही है.जिसमें वे मतदाता को अवैध सामग्री, खासकर नशे की सामग्री दे कर फुसलाने की कोशिश कर रही है और इस तरह के मामले ने बीते साल के भी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. इस विधानसभा चुनाव में सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जब्त किए गए नशीले पदार्थों में गांजे की भारी मात्रा में बरामदगी आपको हैरान कर देगी.

एसोसिएशन फोर डेमोक्रेटिक रिफोर्म (एडीआर) चुनावी विश्लेषण से जुड़ी शोध संस्था ने शनिवार को जारी हुई रिपोर्ट में यह जानकारी देते हुए बताया कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में धनबल और बाहुबल का तबके के लोग लगातार बढ़ रहे हैं. चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार बीते चार विधानसभा चुनाव में गंभीर आपराधिक मामलों में फंसे उम्मीदवारों की हिस्सेदारी लगातार बढ़ती जा रही है यदि बात की जाये 2008 में चार प्रतिशत से बढ़कर 2020 में 15 प्रतिशत हो चुकी है, इस चुनाव में नशीले पदार्थों की जब्ती, बीते साल की तुलना में 21 गुना अधिक हो गई है. इस चुनाव में अवैध सामग्री की धरपकड़ से संबंधी आयोग की रिपोर्ट के मुताबित 2015 के विधानसभा चुनाव में जब्त हुई अवैध शराब, नशीले पदार्थ और कीमती धातुओं की कीमत 2.42 करोड़ रुपए थी छह जनवरी से आचार संहिता लागू हो जाएगी. यदि बात की जाये तो पांच सप्ताह में 30 जनवरी तक 42.69 करोड़ रुपए मूल्य की शराब, नशीले पदार्थ और कीमती धातुएं जब्त की गई हैं. ये आकड़े आपको चौंका देंगे विधानसभा चुनाव के दौरान अवैध सामग्री की धरपकड़ अभियान से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि चुनाव में मांग के अनुरूप नशीले पदार्थों की अवैध आपूर्ति करवाई जा रही है और पिछले साल लोकसभा चुनाव के दरमिया दिल्ली में लगभग 83 किग्रा हेरोइन पकड़ी गई थी जिसका स्थान इस बार विधानसभा चुनाव में गांजे ने ले लिया है.

आयोग के एक अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए कहा कि चुनाव में आपराधिक मामलों में आरोपियों की उम्मीदवारी के बढ़ते चरण को चुनाव में नशा और अन्य अवैध सामग्री की बढ़ती मात्रा से समझा जा सकता है. दिल्ली में विधानसभा चुनाव में फिर एक बार पहले जैसा मामला देखने को मिल रहा है. आपराधित प्रवत्ति के लोगों ने चुनाव में अपने पैर पसारने शुरू कर दिया है और बीते चुनाव में जो मामला देखने को मिला था वो दोबारा देखने को मिल रहा है. चुनाव आयोग को इस और विशेष ध्यान देना चाहिए. ताकि इस तरह के मामलो को रोका जा सके.

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