गणेशोत्सव भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण और उत्सवपूर्ण पर्व है। यह पर्व भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होता है और दस दिनों तक चलता है। इस साल गणेश चतुर्थी 7 सितंबर 2024 को मनाई जाएगी, जबकि गणेश विसर्जन 17 सितंबर 2024 को होगा। गणेशोत्सव का यह पर्व भगवान गणेश की पूजा-अर्चना का समय होता है, जो समृद्धि, बुद्धि, और भाग्य के देवता माने जाते हैं।
वही अगर हम आपसे पूछें कि भगवान गणेश की सबसे ऊंची प्रतिमा कहां है तो आप भारत के महाराष्ट्र का नाम ले सकते हैं. लेकिन, दुनिया में सबसे ऊंची प्रतिमा भारत में नहीं है बल्कि थाईलैंड में स्थित है। यह मूर्ति थाईलैंड के ख्लॉन्ग ख्वेन क्षेत्र में गणेश इंटरनेशनल पार्क में स्थापित की गई है। यह मूर्ति 39 मीटर (130 फीट) ऊंची है, और इसे दुनिया की सबसे ऊंची गणेश प्रतिमा के रूप में मान्यता प्राप्त है।
गणेश इंटरनेशनल पार्क की इस विशाल प्रतिमा को कांसे के 854 विभिन्न हिस्सों से तैयार किया गया है। प्रतिमा के सिर पर कमल का फूल और उसके बीच में 'ओम' का चिन्ह उकेरा गया है, जो इसकी धार्मिक महत्व को दर्शाता है। इस प्रतिमा की स्थापना 2012 में की गई थी, और इसे बनाने में चार साल का समय लगा, जो 2008 से 2012 तक चला।
थाईलैंड के चाचोइंगशाओ (Chachoengsao) शहर को 'सिटी ऑफ गणेश' के नाम से भी जाना जाता है। यहां भगवान गणेश की कई प्रमुख प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं। ख्लॉन्ग ख्वेन गणेश इंटरनेशनल पार्क में 39 मीटर ऊंची गणेश प्रतिमा के अलावा, पार्क में अन्य आकर्षण भी हैं। यहाँ की सबसे ऊँची मूर्ति के अलावा, फ्रांग अकात टेंपल में 49 मीटर ऊंची गणेश प्रतिमा है, जिसमें भगवान गणेश को बैठा हुआ दर्शाया गया है। इसके अलावा, समन वत्तानरम टेंपल में गणेश की 16 मीटर ऊंची और 22 मीटर लंबी प्रतिमा भी स्थापित की गई है।
गणेश इंटरनेशनल पार्क में भगवान गणेश की विभिन्न मुद्राओं में कुल 32 प्रतिमाएं हैं। पार्क में एक म्यूजियम भी है, जिसमें गणेश की प्रतिमाओं और उनके विविध रूपों के बारे में जानकारी दी जाती है। इस पार्क का निर्माण 2008 से 2012 तक हुआ, और यह न केवल थाईलैंड बल्कि विश्वभर से पर्यटकों को आकर्षित करता है।
थाईलैंड में बौद्ध धर्म के अनुयायी बड़ी संख्या में हैं, लेकिन भगवान गणेश के प्रति उनकी श्रद्धा और भक्ति भी अत्यंत गहरी है। गणेश पार्क और मंदिर में विशेष अवसरों पर बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं, जो गणेश के प्रति अपनी श्रद्धा और आस्था का प्रदर्शन करते हैं। यह थाईलैंड में भारतीय संस्कृति के प्रति सम्मान और श्रद्धा का एक प्रमुख उदाहरण है।
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