महाभारत में कौरवों का नाम आपने तो सुना ही होगा.शास्त्र में वर्णित है, उसके अनुसार बताया जाता है कि धृतराष्ट्र और गांधारी के 100 बच्चे थे उनमें 99 पुत्र और मात्र एक पुत्री थीं. कुरु वंश में होने के कारण ये कौरव कहलाए. सभी कौरव में पुत्र दुर्योधन सबसे बड़ा था.
बताया जाता है कि जब गांधारी गर्भ धारण किये हुए थी, उस दौरान धृतराष्ट्र ने एक दासी के साथ सहवास किया था. जिसके चलते वह दासी भी गर्भवती हो गई और बाद में उससे युयुत्सु नामक पुत्र का जन्म हुआ.इस तरह कौरवों की संख्या 100 हो गई ।
पुत्र प्राप्त करने के लिए जब गांधारी ने वेदव्यास से प्रार्थना की थी, तब वेदव्यास जी ने पुत्रवती होने का वरदान दिया था. गांधारी गर्भवती हो गई पर दो वर्ष व्यतीत हो गए और संतान का जन्म नहीं हुआ ,अब गांधारी परेशान सी होने लगी और उसने एक दिन पेट पर जोर से मुक्के का प्रहार किया जिससे उसका गर्भ गिर गया. वेदव्यास ने इस घटना को तत्काल ही जान लिया वे गांधारी के पास आकर बोले-गांधारी तूने बहुत बड़ा अधर्म किया है .
मेरा दिया हुआ वर कभी मिथ्या नहीं जाता पर तूने उसे ठुकरा दिया तेरे अंदर धैर्य नहीं था. अब तुम शीघ्र ही सौ कुंड तैयार करवा कर उनमें घृत (घी) भरवा दो. अब वेदव्यास ने गांधारी के गर्भ से निकले मांस पिण्ड पर अभिमंत्रित जल छिड़का जिससे उस पिण्ड के 100 टुकड़े हो गए. वेदव्यास ने उन टुकड़ों को गांधारी के बनवाए हुए सौ कुंडों में रखवा दिया और उन कुंडों को दो वर्ष पश्चात खोलने का आदेश देकर अपने आश्रम चले गए. दो वर्ष बाद सबसे पहले कुंड से दुर्योधन की उत्पत्ति हुई. फिर उन कुंडों से धृतराष्ट्र के शेष 98 पुत्र एवं दुरूशला नामक एक कन्या का जन्म हुआ.