आयातित प्याज खरीदने से बचने लगे राज्य, ‘नो प्रॉफिट, नो लॉस’ पर बेचीं जाएगी
आयातित प्याज खरीदने से बचने लगे राज्य, ‘नो प्रॉफिट, नो लॉस’ पर बेचीं जाएगी
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किल्लत के कारण बढ़ी प्याज की कीमतों को थामने के प्रयासों को राज्यों ने अब ठेंगा दिखाना शुरू कर दिया जा रहा है। केंद्र ने राज्यों के समक्ष 49 से 58 रुपये प्रति किलो की दर से आयातित प्याज बेचने की पेशकश की है। परन्तु कई राज्यों ने प्याज की अपनी पुरानी मांग को वापस ले लिया है। इससे आयातित प्याज अब केंद्रीय एजेंसियों के लिए मुश्किलों का सबब बन सकता है। असल में , घरेलू आपूर्ति बढ़ने से प्याज की महंगाई थमने लगी है, जिससे संबंधित राज्यों ने महंगा आयातित प्याज लेने से इन्कार करना शुरू कर दिया जा रहा  है। कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की उच्च स्तरीय समिति की बैठक में इस मुद्दे पर लंबी चर्चा हुई। विदेश से आया महंगा प्याज लेने से मना करने वाले राज्यों में महाराष्ट्र, असम, हरियाणा, कर्नाटक और ओडिशा हैं। इनमें सबसे अधिक 10 हजार टन प्याज असम ने मांगा थी, हालाँकि 3480 टन प्याज की मांग महाराष्ट्र, 2500 टन हरियाणा और 100 टन की मांग ओडिशा से थी।सचिवों की समिति की बैठक से लौटे केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय के सचिव अविनाश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि अब तक मुंबई बंदरगाह पर 12000 टन प्याज पहुंच चुका है। 

श्रीवास्तव ने बताया कि मुंबई बंदरगाह पर पहुंचा प्याज 49 से 58 रुपये प्रति किलो की दर से राज्यों को बेचा जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि जिन राज्यों में घरेलू प्याज की आमद होने लगी है, वहां कीमतें घटने लगी हैं। इसके मद्देनजर उन राज्यों को आयातित प्याज महंगा लगने लगा है।केंद्रीय उपभोक्ता मामले व खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने बताया, ‘जब नवंबर में प्याज के मूल्य 120 से 150 रुपये प्रति किलो हो गए थे, उस समय राज्यों की ओर से 33,139 टन प्याज की मांग आई थी।इसके अलावा अब आयातित प्याज बंदरगाहों तक पहुंचने लगा है और संबंधित राज्यों में कीमतों का बढ़ना रुका अथवा कीमतें काबू में आईं तो राज्य पीछे हटने लगे हैं। वही केंद्र सरकार ने ‘नो प्रॉफिट, नो लॉस’ के आधार पर प्याज बेचने का फैसला किया है।’ उन्होंने कहा कि बंदरगाह से प्याज को उपभोक्ता मंडी तक लाने का खर्च केंद्र सरकार वहन करने को तैयार है। एक अन्य सवाल पर पासवान ने कहा कि आयातित प्याज के स्वाद को लेकर सरकार कुछ नहीं कर सकती है । जहां जैसा प्याज मिला, वहां से लाने की कोशिश की गई है। सरकारी एजेंसी एमएमटीसी ने अब तक 41 हजार टन से अधिक का आयात अनुबंध कर लिया है।

फरवरी बाद ही आपूर्ति में पर्याप्त सुधार
सचिव श्रीवास्तव ने बताया कि घरेलू प्याज की आपूर्ति में फरवरी के बाद ही पर्याप्त सुधार की संभावना है। वही मासिक अनुमानित उत्पादन का आंकड़ा देते हुए उन्होंने बताया कि जनवरी में बीते साल के 13.80 लाख टन के मुकाबले 9.25 लाख टन उत्पादन का अनुमान है। फरवरी में उत्पादन 16.76 लाख टन रहने का अनुमान है, जो बीते साल फरवरी में 25.62 लाख टन रहा था। मार्च में प्याज का उत्पादन 29.26 लाख टन पहुंचने की उम्मीद है, जो पिछले साल इसी महीने में 25.8 लाख टन था। श्रीवास्तव ने बताया कि भारत में प्याज की दैनिक खपत लगभग 67 हजार टन है।

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