बुलेट ट्रेन और स्मार्ट पब्लिक टॉयलेट वाले जापान में खाली होते गांव एक बहुत ही बड़ी समस्या बनती जा रही है. जी हां हाल ही में खबर सामने आई है कि नगोरो नाम के गांव में बहुत कम जनसंख्या बची हुई है. गांव में एक समय में 300 लोग निवास करते थे, लेकिन अब वहां इंसानों से अधिक गुड़िया देखने को मिलती है.खबर है कि गांव के हर गली-मोहल्ले में नज़र आने वाली आदमकद गुड़िया यहां रहने वालों को अकेलापन महसूस नहीं होने देती है. इन गुड़ियों को सुकिमा आयो नाम की महिला ने डिजाईन किया था. वे खुद भी नगोरो गांव की रहने वाली है. उन्होंने शुरू में अपने पिता के कपड़े पहनाकर एक स्केयरक्रो बनाया था.
रिपोर्ट्स की माने तो पहले उन्होंने सिर्फ मस्ती के लिए ये पुतले का निर्माण किया था. लेकिन बाद में उन्होंने अपने इस शौक को मिशन के रूप में शुरू कर दिया और अब गांव में इंसानों से अधिक पुतले ही देखने को मिलते है. स्थानीय भाषा में इसे बिजूका भी बोला जाता है. लोगों के घरों में, आंगन में, सड़कों पर और खेतों में बिजूका खड़े हैं . कुछ ,लोगों ने तो इनसे इंसानों जैसा बर्ताव भी करना शुरू कर दिया है.
गांव में पहले सिर्फ एक स्कूल था, जो बच्चों की कमी के कारण से चंद दिनों में ही बंद कर दिया गया. अब यहां भी इंसानों के स्थानों पर पुतले बैठाए गए हैं. टीचर जैसी भी एक गुड़िया यहां बैठा दी गई है, जो बच्चों को पढ़ाती हुई नज़र आती है. हैरानी की बात तो यह है कि गांव को गुड़िया का गांव बनाने में एक वर्ष लग गए. सुकिमी बिजूका को बनाने के लिए लकड़ी, अखबार और कपड़ों का उपयोग करती हैं. उन्हें इंसानों के कपड़े पहनाए जाते हैं और प्रॉपर टच अप दिया जाता है.
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