20 हजार करोड़ की संपत्ति के मालिक राजा की जायदात इन लोगों को मिली
20 हजार करोड़ की संपत्ति के मालिक राजा की जायदात इन लोगों को मिली
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पंजाब के फरीदकोट के राजा हरिंदर सिंह बराड़ की 20 हजार करोड़ से अधिक की प्रॉपर्टी पर अब राजकुमारी अमृत कौर व दीपइंदर कौर का मालिकाना हक होगा. हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को सही मानते हुए उस पर मोहर लगा दी है, हालांकि अपने फैसले में हाईकोर्ट ने कुछ हिस्से पर महारानी महिंदर कौर का हक़ भी माना है. 547 पन्ने के अपने आदेश में जस्टिस राज मोहन सिंह ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अमृत कौर, दीपइंदर कौर और महरावल खेवाजी ट्रस्ट द्वारा दायर सभी अपीलों को खारिज कर दिया. हाईकोर्ट ने कहा कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत महाराजा की मृत्यु के समय महारानी महिंदर कौर जीवित थी ऐसे में इस संपत्ति में वह भी हिस्सेदार हैं.

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि बावजूद इसके ज्यादातर हिस्सा दोनों बेटियों को ही मिलेगा. महारानी अब जीवित नहीं हैं तो निश्चित ही उनके नाम आने वाला हिस्सा उनके द्वारा तय किए गए वारिसों को दिया जाएगा. हाईकोर्ट ने निचली अदालत इसे उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमे महारावल खेवाजी ट्रस्ट को सारी संपत्ति सौंपे जाने की वसीयत को फर्जी बताया था और इस अब हाईकोर्ट ने भी इस ट्रस्ट को अवैध करार दे दिया है.राजा की फरीदकोट में काफी प्रॉपर्टी है. इसके अलावा चंडीगढ़ में मनीमाजरा का किला, एक होटल साइट समेत दिल्ली और हिमाचल में राजा की काफी प्रॉपर्टी है. राजा की कुल प्रॉपर्टी 20 हजार करोड़ से अधिक बताई जा रही है. हाईकोर्ट ने अब इसमें से 25 प्रतिशत हिस्सा महारानी महिंदर कौर को भी दे दिया है, वही बाकी बची 75 प्रतिशत संपत्ति का आधा-आधा राजकुमारी अमृत कौर और दीपइंदर कौर को मिलेगा.

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इसके अलावा प्रॉपर्टी के हक को लेकर सीजेएम कोर्ट ने 25 जुलाई 2013 को आदेश देते हुए दोनों बहनों को बराबर वारिस माना था. इस फैसले को एडीजे के समक्ष चुनौती दे दी गई और एडीजे ने फरवरी 2018 को इस अपील को खारिज कर दिया और सीजेएम के उस फैसले को बरकरार रखा जिसमें राजा हरिंदर सिंह बराड़ की 1982 में बनाई गई वसीयत को अवैध ठहरा दिया गया था. बता दे कि सीजेएम ने अपने आदेश में राजा हरिंदर सिंह बराड़ की 1982 में बनाई गई वसीयत को अवैध ठहराते हुए राजा की बेटियों राजकुमारी अमृत कौर और राजकुमारी दीपइंदर कौर को संपत्ति पर बराबर का मालिकाना हक दिया था. साथ ही ट्रस्ट को अवैध करार दिया था. इस ट्रस्ट की चेयरपर्सन दीपइंदर कौर थी.

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