नई दिल्ली: कट्टरपंथी इस्लामी प्रचारक और भारत से फरार भगोड़े जाकिर नाइक ने प्रस्तावित वक्फ विधेयक का विरोध करते हुए भारतीय मुसलमानों को भड़काने का प्रयास किया है। नाइक ने अपने वीडियो संदेश में मुसलमानों से कहा कि उन्हें एकजुट होकर इस बिल का विरोध करना चाहिए। उसने दावा किया कि मौजूदा भाजपा सरकार पिछले 10 सालों की तुलना में अब कमजोर हो गई है, और यदि मुसलमान मजबूती से विरोध करेंगे तो सरकार को इस बिल को वापस लेना पड़ेगा। भगोड़े इस्लामी उपदेशक ने कहा कि, भारत में 21 करोड़ मुसलमान हैं, अगर ढाई प्रतिशत यानी 50 लाख मुसलमान भी इसका विरोध करें, तो इसे रोका जा सकता है। बता दें कि, बांग्लादेश में लगभग 5 लाख कट्टरपंथियों ने सडकों पर उतरकर तख्तापलट कर दिया था, यहाँ भी उसी साजिश की बू आ रही है।
नाइक ने भारतीय मुसलमानों से अपील की कि वे इस बिल के खिलाफ वोट दें और इसके विरोध में खड़े हों, ताकि मुस्लिम विरोधी सरकार इसे पारित ना करा पाए। उसने इस मामले को केवल मुसलमानों का मुद्दा बताते हुए कहा कि वक्फ की संपत्ति सार्वजनिक नहीं है और इसमें गैर-मुस्लिमों का कोई दखल नहीं होना चाहिए। जाकिर नाइक ने वक्फ संपत्ति को मुसलमानों की जमीन बताते हुए कहा कि यह बिल पास होने पर मस्जिदों, मदरसों और कब्रिस्तानों पर खतरा मंडराने लगेगा और मुसलमानों की अगली पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी। नाइक ने कहा कि भाजपा की ताकत अब पहले जैसी नहीं है और विपक्ष अब बेहतर स्थिति में है, इसलिए यह बिल रोका जा सकता है। उसने दावा किया कि यदि मुसलमान इस बिल का विरोध करेंगे तो सरकार इसे पारित नहीं कर पाएगी।
यह वही जाकिर नाइक है, जिसके विवादास्पद भाषणों ने कई मुसलमान युवाओं को आतंकवाद की राह पर चलने के लिए उकसाया। उस पर मनी लॉन्ड्रिंग और देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप हैं, जिसके चलते वह 2016 में भारत से फरार हो गया और अब मलेशिया में रह रहा है। नाइक अकसर हिंदू देवी-देवताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणियाँ करता है, जिससे उसके खिलाफ भारी विरोध हुआ। यह सवाल अब गंभीर रूप से उठता है कि क्या जाकिर नाइक भारत में विपक्षी दलों से मिलकर बांग्लादेश जैसी स्थिति पैदा करने की साजिश रच रहा है? क्योंकि इससे पहले सलमान खुर्शीद और संजय राउत जैसे नेताओं ने बांग्लादेश जैसी स्थिति की धमकी दी थी,कि भीड़ प्रधानमंत्री आवास में घुस जाएगी और मोदी को भागना पड़ेगा। इसी तरह बांग्लादेश में कट्टरपंथियों ने तख्तापलट कर दिया था, जहाँ आरक्षण एक बहाना बना। अब यहाँ वक्फ एक्ट को बहाना बनाकर मुस्लिम समुदाय को भड़काने की कोशिश की जा रही है।
भारत के विपक्षी दल भी इस वक्फ विधेयक को मुसलमानों के खिलाफ बताकर उन्हें भड़काने की कोशिश कर रहे हैं, और विदेश में बैठा भगोड़ा जाकिर नाइक भी इसी साजिश में शामिल दिख रहा है। यह ध्यान देने योग्य है कि यही जाकिर नाइक, जिसके भाषणों ने कई मुस्लिम युवाओं को आतंकवाद की ओर धकेला, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के अनुसार 'शांतिदूत' माना जाता है। अब सवाल यह उठता है कि क्या यह नेताओं और कट्टरपंथियों की मिलीभगत है? क्या ये लोग सत्ता हासिल करने के लिए देश को जलाने के लिए तैयार बैठे हैं?
क्या है वक्फ एक्ट और इसके पास कितनी ताकत ?
वक्फ अधिनियम को पहली बार नेहरू सरकार द्वारा 1954 में संसद द्वारा पारित किया गया था। इसके बाद, इसे निरस्त कर दिया गया और 1995 में एक नया वक्फ अधिनियम पारित किया गया, जिसमें वक्फ बोर्डों को और अधिक अधिकार दिए गए। 2013 में, मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने इसे असीमित अधिकार दे दिए। जिसके बाद ये प्रावधान हो गया कि अगर वक्फ किसी संपत्ति पर दावा ठोंक दे, तो पीड़ित अदालत भी नहीं जा सकता, ना ही राज्य और केंद्र सरकारें उसमे दखल दे सकती हैं। पीड़ित को उसी वक्फ के ट्रिब्यूनल में जाना होगा, जिसने उसकी जमीन हड़पी है, फिर चाहे उसे जमीन वापस मिले या ना मिले। यह भी ध्यान दें कि, अगर आप काशी-मथुरा जैसे अपने किसी मंदिर को अतिक्रमणकारियों द्वारा तोड़ने और वहां कब्जा करने का मामला लेकर अदालत जाएंगे, तो इसी कांग्रेस का पूजा स्थल कानून 1991 आपको रोक देगा, ये कहकर कि 1947 में जिस स्थल का धार्मिक चरित्र जो था, वही रहेगा। लेकिन वक्फ औरंगज़ेब के समय में दान की गई कथित जमीन पर भी कब्जा कर सकता है और फिर भी आप कोर्ट नहीं जा सकते, क्योंकि, कांग्रेस का ही वक्फ कानून आपको रोकेगा। और वक्फ को इसका कोई सबूत पेश करने की भी जरूरत नहीं होगी कि सचमुच ये जमीन उसकी है। क्या कांग्रेस के इन दो कानूनों में विशुद्ध धोखाधड़ी नहीं दिखती, जहाँ गैर-मुस्लिमों से इन्साफ का अधिकार ही छीन लिया गया है ? अगर इस तरह भारत सरकार चन्द्रगुप्त मौर्या के समय का नक्शा इस्तेमाल करके जमीनों पर कब्जा शुरू कर दे, तो कट्टरपंथियों के पास क्या बचेगा ?
वक़्फ़ बोर्ड का काला चिट्ठा सुनिए सुधांशु जी की ज़ुबानी pic.twitter.com/WyuIG676Ap
— Shivam Tyagi (Modi Ka Parivar) (@ShivamSanghi12) September 6, 2024
यही कारण है कि बीते कुछ सालों में वक्फ की संपत्ति दोगुनी हो गई है, जिसके शिकार अधिकतर दलित, आदिवासी और पिछड़े समाज के लोग ही होते हैं। वक्फ कई जगहों पर दावा ठोंककर उसे अपनी संपत्ति बना ले रहा है और आज देश का तीसरा सबसे बड़ा जमीन मालिक है। रेलवे और सेना के बाद सबसे अधिक जमीन वक्फ के पास है, 9 लाख एकड़ से अधिक जमीन। देश की 9 लाख एकड़ जमीन सरकार के हाथ से निकलकर वक्फ के हाथ में चली गई और जनता को पता ही नहीं कि देश किसने बेचा ? हर साल वक्फ का सर्वे होता है और उसकी संपत्ति बढ़ जाती है, पूरे के पूरे गांव को वक्फ की संपत्ति घोषित कर दिया जाता है और कहीं सुनवाई भी नहीं होती। गौर करने वाली बात तो ये है कि, रेलवे और सेना की जमीन के मामले अदालतों में जा सकते हैं, सरकार दखल दे सकती है, लेकिन वक्फ अपने आप में सर्वेसर्वा है। उसमे किसी का दखल नहीं और ना ही उससे जमीन वापस ली जा सकती है। मोदी सरकार इसी असीमित ताकत पर अंकुश लगाने के लिए बिल लाइ है, ताकि पीड़ित कम से काम कोर्ट तो जा सके और वक्फ इस तरह हर किसी की संपत्ति पर अपना दावा न ठोक सके। इस बिल को विपक्ष, मुस्लिमों पर हमला बताकर विरोध कर रहा है। सरकार ने विपक्ष की मांग को मानते हुए इसे JPC के पास भेजा है, जहाँ लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सांसद मिलकर बिल पर चर्चा करेंगे और इसके नफा-नुकसान का पता लगाएंगे। JPC के कुछ सदस्यों ने जनता से भी उनका पक्ष रखने के लिए कहा है, देखा जाए तो हर भारतीय को इस पर अपने विचार रखने चाहिए, क्योंकि इस देश की जमीन पर सबका अधिकार है। सुझाव भेजने का पता जॉइंट सेक्रेटरी (JM), लोकसभा सचिवालय, रूम नंबर 440, पार्लियामेंट हाउस एनेक्सी, नई दिल्ली, पिन कोड 110001 है। फैक्स नंबर 011-23017709 और ईमेल jpcwaqf-lss@sansad.nic.in पर भी सुझाव भेजे जा सकते हैं।
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