इकलौती महिला गर्वनर बनी मासूमा को करना पड़ रहा है संघर्ष
इकलौती महिला गर्वनर बनी मासूमा को करना पड़ रहा है संघर्ष
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अफगानिस्तान की इकलौती महिला गर्वनर बनी मासूमा ने दूरदराज के दायकुंदी प्रांत का गर्वनर बन कर इतिहास रच दिया है. यह  इस देश में एक उल्लेखनीय घटना है, जहां पितृसत्तात्मक परंपराएं महिलाओं को दुनिया में उनकी जगह देने के आधुनिक विचारों के ठीक विपरित हैं. 

हालाँकि  राष्ट्रपति अशरफ गनी द्वारा मासूमा को नियुक्त करने के बमुश्किल सालभर बाद ही इस महिला के लिए चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं. उन्हें पद से हटाने के धार्मिक कट्टरपंथियों और विरोधियों के स्वर तेज होते जा रहे हैं.

37 वर्षीय मासूमा ने एएफपी को बताया, लोग दावा जरूर करते हैं कि वे खुले विचारों के हैं लेकिन एक महिला के इस पद पर होने को वे बर्दाश्त नहीं कर पाते. मैं उन्हें मुझे दबाने नहीं दूंगी- समाज को एक महिला से ऐसी उम्मीद नहीं होती है.

बमुश्किल पांच फिट ऊंची और दो बच्चों की मां को गनी ने दायकुंदी का नेतृत्व करने के लिए चुना साल 2001 में अफगानिस्तान से तालिबान शासन के खात्मे के बाद यहां महिलाओं ने तरक्की तो की है लेकिन सामाजिक जीवन से वे अब भी लगभग नदारद हैं.

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