'मीडिया को भी अधिकारियों की ज्यादा मॉलिश नहीं करना चाहिए', आखिर क्यों भड़के कैलाश विजयवर्गीय?
'मीडिया को भी अधिकारियों की ज्यादा मॉलिश नहीं करना चाहिए', आखिर क्यों भड़के कैलाश विजयवर्गीय?
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इंदौर: भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय एक बार फिर अधिकारीयों पर बरसे हैं। उन्होंने इंदौर को निरंतर छठी बार सफाई में नंबर वन बनने का श्रेय अफसरों को दिए जाने का विरोध किया। वह भी विशेष अंदाज में। उन्होंने तो यह भी कह दिया कि मैं कड़वी बात बोल रहा हूं। हो सकता है कि किसी को बात बुरी भी लगे, किन्तु यह बोलना आवश्यक है। मेरे अलावा किसी और में ताकत भी नहीं है कि ऐसा बोल सके। 

इंदौर के ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में स्वच्छता में देशभर में शहर के निरंतर छठे वर्ष अव्वल रहने पर कार्यक्रम था। इस के चलते अफसरों की प्रशंसा में कसीदे पढ़े जा रहे थे। यह बात कैलाश विजयवर्गीय को अच्छी नहीं लगी। उन्होंने कहा कि अगर अफसरों में दम होता तो इंदौर के तत्कालीन निगमायुक्त यहां के बाद उज्जैन जिलाधिकारी बने थे। उज्जैन के वर्तमान कलेक्टर भी इंदौर के निगमायुक्त रह चुके हैं। उन्हें तो अमिताभ बच्चन ने अवार्ड भी दिया था। दोनों अधिकारी उज्जैन को स्वच्छता में नंबर वन नहीं बना पाए क्योंकि जनता की वजह से स्वच्छता में इंदौर देश में सबसे आगे है, अधिकारीयों के कारण नहीं। सफाई में इंदौर नंबर वन है तो उसका श्रेय सफाई मित्रों और शहर की जनता को जाता है, अफसरों को नहीं। मीडिया को भी अफसरों की अधिक मॉलिश नहीं करना चाहिए। यह पहला अवसर नहीं है जब विजयवर्गीय ने शहर के अधिकारीयों को निशाना न बनाया हो। इससे पहले भी वे अफसरों के बहाने सरकार पर हमले बोलते रहे हैं। 

रेसीडेंसी कोठी पर प्रदर्शन के चलते बड़े अधिकारी नहीं पहुंचे थे तो कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था कि अधिकारी जनता के नौकर हैं। उनकी इतनी औकात हो गई है क्या कि वे जनप्रतिनिधियों से भी न मिले। हमारे पदाधिकारी शहर में है, नहीं तो आग लगा देता इंदौर में। इससे पहले इंदौर नगर निगम के आयोजन में एक बार कैलाश विजयवर्गीय बोले थे कि इंदौर के मामले में मेरे हाथ बंधे हुए हैं। मेरी हालत शोले के ठाकुर जैसी है। उनका संकेत बेलगाम अफसरशाही की तरफ था। लॉकडाउन के समय भी अधिकारी कैलाश विजयवर्गीय के निशाने पर रहे हैं। उन्होंने अधिकारीयों के आदेशों की तुलना तुगलकी फरमान से की थी। इसी प्रकार इंदौर विकास प्राधिकरण के समारोह में उन्होंने कहा था कि इंदौर में अडंगेबाजों की कमी नहीं है। इसमें भी निशाने पर अधिकारी ही थे। 

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