वह व्यक्ति जीवन में कभी भी अन्न और धन का सुख प्राप्त नहीं कर सकता
वह व्यक्ति जीवन में कभी भी अन्न और धन का सुख प्राप्त नहीं कर सकता
Share:

tyle="text-align:justify">सूर्योदय और सूर्यास्त का समय संध्या काल अथवा गोधूली वेला कहलाता है। शास्त्रों में इस समय को लेकर बहुत सारे नियम निर्धारित किए गए हैं। जो व्यक्ति इन नियमों का पालन नहीं करता वह जितने भी टोने-टोटके और उपाय कर लें जीवन में कभी भी अन्न और धन का सुख प्राप्त नहीं कर सकता। उसे कोई न कोई रोग अपनी चपेट में बांधी रखता है, उम्र भी कम होती है।   
 
शाम ढलने के उपरांत न तो तुलसी का स्पर्श करना चाहिए और न उसे जल अर्पित करना चाहिए लेकिन दीपदान जरूर करना चाहिए।
 
गोधूली वेला में पहला दीपक तुलसी को दूसरा घर के मंदिर में जगाएं। फिर पूरे घर में एक दीपक को घुमाएं, ऐसा करने से घर में सकारात्मक उर्जा बनी रहती है। 
 
सूर्यास्त के समय कुछ भी खाना-पीना नहीं चाह‌िए। 
 
रत‌िक्र‌िया नहीं करनी चाहिए।
 
सोना नहीं चाहिए।
 
सारे घर में कपूर और गुग्गल का धुंआ देना चाहिए। प्रतिदिन संभव न हो तो मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को अवश्य दें।
 
क्रोध न करें।
 
किसी को अपशब्द न कहें।
 
चुगली न करें।
 
शाम के वक्त वेदों और शास्‍त्रों का अध्ययन करना निषिद्ध है। इस समय केवल ध्यान, साधना, भजन-आरती और दीपदान करना ही लाभप्रद होता है।
 
सूरज ढलने के उपरांत कभी क‌िसी को उधार न दें। मान्यता है कि इस वक्त किसी को अपने कोष से धन निकाल कर देने से आप अपने भाग्य की लक्ष्मी किसी और के नाम कर देते हैं।

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -