इस स्थान को बौद्ध जगत में पूजनीय स्थल के रूप में मान्यता मिली
इस स्थान को बौद्ध जगत में पूजनीय स्थल के रूप में मान्यता मिली
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लुम्बिनी नेपाल की तराई में पूर्वोत्तर रेलवे की गोरखपुर-नौतनवाँ लाइन के नौतनवाँ स्टेशन से 20 मील और गोरखपुर-गोंडा लाइन के नौगढ़ स्टेशन से 10 मील दूर है। नौगढ़ से यहाँ तक पहुंचने का पक्का मार्ग भी है। बौद्ध धर्म के लिए यह एक बेहद विशिष्ट जगह है क्योंकि यहां गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था।

लुम्बिनी का इतिहास 
गौतम बुद्ध का जन्म 563 ई.पू. में कपिलवस्तु के समीप लुम्बिनी ग्राम में हुआ था। मान्यता है कि यहां सम्राट अशोक भी आएं थे। यहां सम्राट अशोक ने एक दीवार और स्तंभ का भी निर्माण कराया था। प्राचीन काल में यह एक भरा-पूरा विहार होता था लेकिन अब यह नष्ट हो चुका है। केवल सम्राट अशोक का एक स्तम्भ अस्तित्व में है जिस पर खुदा है- 'भगवान् बुद्ध का जन्म यहाँ हुआ था।' इस स्तम्भ के अतिरिक्त एक समाधि स्तूप भी है, जिसमें बुद्ध की एक मूर्ति है।

लुम्बिनी का वर्णन चीनी यात्री फाह्यान और युवानच्वांग ने भी किया है। माना जाता है कि हूणों के आक्रमणों के पश्चात यह स्थान गुमनामी के अँधेरे में खो गया था। वर्ष 1866 ई. में इस स्थान को खोज निकाला गया। तब से इस स्थान को बौद्ध जगत में पूजनीय स्थल के रूप में मान्यता मिली।

लुम्बिनी का महत्त्व 
लुम्बिनी को बौद्ध धर्म में बेहद महत्त्वपूर्ण माना जाता है। बुद्ध की जन्मस्थली होने के कारण इस जगह को पूजनीय माना जाता है।

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