विरोध प्रदर्शन किया, तो कोर्ट ने दी सजा-ए-मौत, इस्लामी मुल्क में महिलाओं के बाल दिखना अपराध !
विरोध प्रदर्शन किया, तो कोर्ट ने दी सजा-ए-मौत, इस्लामी मुल्क में महिलाओं के बाल दिखना अपराध !
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तेहरान: विरोध प्रदर्शन करने पर व्यक्ति को कोर्ट ने सुनाई मौत की सजा। जरा ठहरिए, ये मामला भारत का नहीं है, यहाँ तो हर किसी को किसी भी बात पर भीड़ इकठ्ठा कर किसी भी चीज़ का विरोध करने की पूरी आज़ादी है और ये संवैधानिक अधिकार है। लेकिन, इस्लामी मुल्क ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शन को दबाने के लिए सरकार हर दमनकारी नीति अपना रही है। अब  ईरान की रिवोल्यूशनरी कोर्ट ने देश में जारी अशांति के बीच एक सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी को सजा-ए-मौत सुनाई है। साथ ही 5 अन्य लोगों को जेल की सजा दी गई है। यहां बीते कुछ हफ्तों से जारी सरकार विरोधी प्रदर्शनों में हिस्सा लेने पर अरेस्ट किए जा रहे लोगों के खिलाफ मुकदमें दर्ज किए जा रहे हैं। हालांकि, ये पहला मामला है जब किसी प्रदर्शनकारी को मौत की सजा सुनाई गई है।

ईरान की न्यायपालिका से संबंधित समाचार वेबसाइट मिजान ने जानकारी दी है कि प्रदर्शनकारी को एक सरकारी भवन में आग लगाने के मामले में सजा-ए- मौत सुनाई गई है। इसके साथ ही 5 अन्य लोगों को राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के उल्लंघन के आरोप में 5 से 10 वर्ष जेल की सजा दी गई। बता दें कि, इस्लामिक मुल्क ईरान की नैतिक पुलिस (Moral Police) की निर्मम पिटाई से 22 वर्षीय महसा अमीनी की दर्दनाक मौत होने के बाद ईरान में देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे।

रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं के लिए कड़े नियमों वाले इस्लामी देश ईरान में हिजाब में से बाल दिख जाने पर महसा अमीनी को हिरासत में लिया गया था। जिसके बाद नैतिक पुलिस ने महसा को इस कदर पीटा कि, वह कोमा में चली गई और कुछ दिन बाद उन्होंने दम तोड़ दिया। 
इसके बाद जो प्रदर्शन शुरू हुए, वो शुरुआत में ईरान में हिजाब पहनने की अनिवार्यता पर केंद्रित थे, मगर बाद में प्रदर्शनों का सिलसिला बढ़ता गया और ये 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद सत्तारूढ़ शासकों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गए हैं।

वहीं, जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज ने प्रदर्शनकारियों पर दमनकारी कार्रवाई करने के लिए ईरान सरकार की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा है कि जर्मनी, ईरानी लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर मजबूती से खड़ा है। शोल्ज ने कहा है कि ईरानी पुलिस की हिरासत में 16 सितंबर को 22 साल की महसा अमीनी की मौत के बाद शुरू हुए प्रदर्शन अब सिर्फ हिजाब का सवाल नहीं रहे हैं, बल्कि आज़ादी व इंसाफ की लड़ाई में बदल गए हैं। उन्होंने कहा कि, 'हमारे लिए इस बात की कल्पना भी मुश्किल है कि ऐसा प्रदर्शन करने के लिए कितनी हिम्मत की आवश्यकता है। प्रदर्शनों में 300 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं, दर्जनों को मौत की सजा सुनाई गई है और 14,000 से अधिक गिरफ्तार कर लिए गए हैं।'

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