अमेरिका में अंतर-धार्मिक संवाद बढ़ाने के लिए आगे आए सिख
अमेरिका में अंतर-धार्मिक संवाद बढ़ाने के लिए आगे आए सिख
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वाशिंगटन : अमेरिका के राष्ट्रपति भवन में समावेशन, स्वतंत्रता और अंतर-धार्मिक समन्वय की अमेरिकी परंपरा को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में शामिल हुए 15 विभिन्न नागरिक अधिकार एवं धार्मिक संगठनों में नेशनल सिख कैंपेन (एनएससी) भी शामिल रहा। सभी संगठनों ने इस अवसर पर एक परियोजना नो योर नेबर भी शुरू की, जिसमें सभी अमेरिकी नागरिकों से अपनी-अपनी आस्था एवं विश्वास को साझा करने और दूसरों की आस्था एवं विश्वास का सम्मान करने का आह्वान किया गया है। इस परियोजना को शुरू करने वाले एनएससी के कार्यकारी निदेशक गुरविन सिंह आहूजा ने कहा, हमारा देश ईसाइयों, मुस्लिमों, यहूदियों, हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, किसी भी धर्म को न मानने वालों का देश है और सबसे बढ़कर हम साथ-साथ रहते हैं और काम करते हैं और हमें एक-दूसरे पर विश्वास करने की जरूरत है।

एनएससी द्वारा किए गए शोध सिख्स इन द युनाइटेड स्टेट्स के अलावा कई व्यापक शोधों के बाद तैयार की गई इस परियोजना नो योर नेबर का मकसद दुनिया की सर्वाधिक धार्मिक विभिन्नता वाले देश अमेरिका की परंपरा को बचाए रखना और उसे मजबूती प्रदान करना है। एनएससी के वरिष्ठ सलाहकार राजवंत सिंह ने कहा, अमेरिकी नागरिक इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं कि यहां सिख, इस्लाम और हिंदू धर्मो को मानने वाली अल्पसंख्यक आबादी निवास करती है, हालांकि उन्हें यह अहसास नहीं है कि यह अल्पसंख्यक आबादी उनके ठीक आस-पास उनके पड़ोसी, मित्र और सहकर्मियों के रूप में मौजूद है। उन्होंने कहा, अगर हम इस बात से अनभिज्ञ लोगों को यह अहसास करा पाए तो हम सहिष्णुता और स्वीकार्यता के बीच की गहरी खाई को पाट सकेंगे।

संगठनों ने धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के प्रति हाल के दिनों में बढ़ी नफरत की भावनाओं को कम करने की दिशा में काम करने की इच्छा जाहिर की। गौरतलब है कि अमेरिका में हाल के वर्षो में अल्पसंख्यक समुदाय खासकर सिख और मुस्लिमों के खिलाफ भेदभाव, अविश्वास और हिंसा की घटनाओं में इजाफा देखा गया। राजवंत ने कहा, मुस्लिमों के खिलाफ बढ़ी नफरत की भावना के कारण बहुत ही खतरनाक माहौल बना है, जो सिर्फ मुस्लिमों और सिखों तक सीमित न होकर सभी धर्मो के प्रति बनने लगा है। उन्होंने कहा, सच्चाई यह है कि धार्मिक स्वतंत्रता और सामुदायिक भावना खतरे में है और विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच विश्वास बढ़ाने के लिए किया जा रहा यह प्रयास पहले से कहीं अधिक महत्व वाला है।

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