एक गांव में एक गरीब ब्राम्हण रहता था। वैसे तो ब्राम्हण धनवान होते है किन्तु यह ब्राह्मण बहुत गरीब था। एक टूटी हुई झोपडी थी जहा वह अपने परिवार के साथ रहता था। और नित्य ही दर - दर भिक्षा माँग कर अपना और अपने परिवार का पेट भरता था। एक बार वह पास ही के गांव में भिक्षा मांगने के लिए गए। उस समय वह काफी गन्दी हालत में थे गंदे फटे हुए कपड़े, एक फटा हुआ मेला सा झोला लिए हुए थे.
जब वे एक घर के दरवाजे पर भिक्षा के लिए पहुंचे तब घर में से एक व्यक्ति ने ब्राम्हण को इस हालत में देखा, चिल्लाते हुए कहा चलो जाओ यहाँ से न जाने कहा से चले आते है भिखारी कही के। ब्राम्हण को इस बात से काफी चोट पहुंची। जब वे वापस अपने घर की और जा रहे थे तब एक अमीर राजा की नजर उस भिखारी की तरफ पड़ी। राजा बड़ा दयावान था, उसने ब्राम्हण के फटे हुए कपडे देख कर ब्राम्हण को नए कपडे दिए जिसे पा कर ब्राम्हण बड़ा खुश हुआ।
ब्राम्हण दूसरे दिन वापस उसी घर गए जहा उन्हें कल भिखारी कह घर से भगाया था। ब्राम्हण को साफ सुथरे कपडे में देख उस व्यक्ति ने ब्राम्हण को घर के अंदर बुलाया और खाने के लिए कई प्रकार के भोजन उन्हें थाली में परोसे गए। ब्राम्हण ने भोजन का एक अंश भी अपने मुह में नहीं डाला। बल्कि सारा भोजन अपने कपड़ो पर डालते हुए कह रहे थे की ले खा ले।
ब्राम्हण को ऐसा करते हुए देख उनसे पूछा की आप यह क्या कर रहे है, तब ब्राम्हण ने जवाब दिया, ये जो आपने मुझे भोजन दिया है यह मुझे नहीं आपने मेरे कपड़ो को दिया है, कल जब में फटे कपडे पहन के आया था तब आपने मुझे भिखारी कह यहाँ से भगा दिया और जब आज में नए कपडे पहन कर आया हूँ तो आप मुझे घर के अंदर बुला कर कई प्रकार के व्यंजन परोस रहे है। यह सुन कर व्यक्ति बहुत दुखी हुआ और उसे अपनी गलती का अहसास हुआ। उसने ब्राह्मण से अपनी गलती के लिए क्षमा याचना की और आगे फिर कभी किसी के साथ इस तरह का व्यवहार न करने का वचन दिया.