Movie Review : ट्रेवल फिल्मों के शौकीन हैं तो देखें The Extraordinary Journey Of The Fakir
Movie Review : ट्रेवल फिल्मों के शौकीन हैं तो देखें The Extraordinary Journey Of The Fakir
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साउथ एक्टर धनुष की फिल्म 'द एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी जर्नी ऑफ द फकीर' आज रिलीज़ हो चुकी है. इसके बारे में बता दें, नॉर्वे और स्पेन के कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में इनाम-इकराम पा चुकी हॉलिवुड निर्देशक केन स्टॉक की फिल्म एक किताब पर आधारित है जिसका नाम 'द एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी जर्नी ऑफ द फकीर' ही है. तो जानते है क्या रहा इस फिल्म का रिस्पांस. 

फिल्म : द एक्स्ट्रा ओर्डिनरी जर्नी ऑफ द फकीर
कलाकार : धनुष, एरिन मोरियार्टी, बेरेंसी बेजो, एबल जाफरी
निर्देशक : केन स्टॉक 
मूवी टाइप : Comedy, Drama 
अवधि : 1 घंटा 41 मिनट
रेटिंग : 3/5

कहानी : मुंबई की चाल में रहने वाले अजातशत्रु लवाश पटेल उर्फ अजा (धनुष) का बचपन बहुत ही दिलचस्प मोड़ से गुजरता है. अपने पिता को लेकर दिन रात उत्सुक रहने वाले अजा को उसकी मां (अमृता संत) ने पट्टी पढ़ाई है कि वह दुनिया में जादू के दम पर आया है, मगर स्कूल जाने के बाद अजा को पता चल जाता है कि वे लोग गरीब हैं और दुनिया में उसका कोई ना कोई पिता जरूर है. अजा का एक ही सपना है कि वह अमीर बने और मां को पैरिस ले जाए. उसकी धोबन मां सिंगल पैरंट है और अजा को मां की मौत के बाद ही पता चल पाता है कि उसके पिता स्पेनिश थे और उसी की तरह सड़कों पर जादू दिखाने वाले जादूगर. 

उसे अपनी मां के सामान से उसके पिता के खत और तस्वीर मिलती है. बस उसके बाद अजा एक ऐसे सफर पर निकल पड़ता है, जो उसे दुनिया के कई दिलचस्प जगहों के साथ-साथ अजीबो -गरीब लोगों से भी मिलवाता है. सबसे पहले वह नकली सौ यूरो के नोट के दम पर पैरिस पहुंचता है, जहां उसे मरी (एरियन मोरियार्टी ) के रूप में उसका प्यार मिलता है. लेकिन वो मरी से आयफिल टावर पर मिलने के वादे को पूरा भी नहीं कर पाया था कि हालात ऐसे बनते हैं कि इंग्लैंड और बार्सिलोना के बाद लीबिया तक जा पहुंचता है. यहां से उसकी असल कहानी शुरू होती है. 

रिव्यू : विदेशी निर्देशक केन स्टॉक के निर्देशन में बनी 'द एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी जर्नी ऑफ द फकीर' को देखना इसलिए भी सुखद साबित होता है क्योंकि उन्होंने फिल्म में भारत की गरीबी को भुनाने के बजाय इसके ह्यूमन ऐंगल पर फोकस किया है. फिल्म में उन्होंने रेफ्यूजी की समस्याओं के साथ प्यार और रिश्तों के ताने-बाने को भी बुना है. विभिन्न देशों की तरह फिल्म में कई रंग है, जो कहानी को शीर्षक के मुताबिक मंजिल तक ले जाते हैं. 

एक्टिंग : विंसेंट मेथियाज की सिनेमटॉग्रफी दर्शनीय है. अब तक धनुष को हिंदी फिल्म के दर्शकों ने 'रांझना', 'शमिताभ' और 'वीआईपी' जैसी फिल्मों में देखा है, मगर 'द एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी जर्नी ऑफ द फकीर' में धनुष अपनी सिनेमाई इमेज के विपरीत अजा के रूप में हर ऐंगल से दर्शकों का मनोरंजन करने में कामयाब रहे हैं.  मां (अमृता संत) और पालतू गाय मोहिनी के संग अजा की केमेस्ट्री कमाल की बन पड़ी है. अमृता संत अपनी भूमिका की सहजता को बनाए रखने में सफल रही हैं. एरिन मोरियार्टी, बेरेंसी बेजो, एबल जाफरी आदि ने अपने किरदारों के मुताबिक बेहतरीन काम किया है. बाल अजा के रूप में हर्टी सिंह की चंचलता और मासूमियत कहानी को अलहदा रंग देती है. 

क्यों देखें : फीलगुड और ट्रैवल फिल्मों के शौकीन यह फिल्म देख सकते हैं. 

 

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