सपने हुए साकार, जब इरादे हो पक्के तो मंजिल मिल ही जाती है
सपने हुए साकार, जब इरादे हो पक्के तो मंजिल मिल ही जाती है
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हमारी छोटी-छोटी आंखे बड़े-बड़े सपने कब और कैसे देख लेती हैं, ये कभी पता नहीं चलता. इन सपनों को देखने के बाद दिल और दिमाग में शुरू होती है जद्दोजहद. ऐसा ही एक सपना मेरी आंखों ने फैशन डिजाइनर बनने का देखा था. मेरा नाम कोमल पांडे है और यह बात उस समय की है जब मैं मुंबई शहर में अपनी पढ़ाई कर रही थी. पढ़ाई के दौरान ही दिल में इरादा कर लिया था कि फैशन की दुनिया में अपना एक मुकाम बनाना है. इस सपने को पूरा करने का वक्त भी आया, लेकिन तभी पापा का ट्रांसफर दिलवालों के शहर दिल्ली में हो गया.

बेशक ये शहर मुझे पसंद था लेकिन मेरे सपनों की गली यहां से नहीं गुजरती थी. फिर शुरू हुई मां-पापा को मनाने की जुगत, लेकिन इसमें कामयाब मैं नहीं हो सकी. आखिरकार दिल्ली आना प़डा लेकिन जो सपना मैंने देखा था, वह मेरे साथ मुंबई से दिल्ली आ गया.

यहां आकर जब मैंने पापा से बात की तो जवाब यही मिला कि क्या जरूरत है फैशन की दुनिया में मुकाम बनाने की, अगर बहुत ज्यादा इच्छा है तो कोई घर बैठे कोर्स कर लो. इस जवाब से मैं उदास हुई थी लेकिन इरादे पहले से ज्यादा मजबूत हो गए थे.

मैंने अपनी जॉब शुरू की और पूरे साल की सैलरी से बचत करते हुए मैंने फैशन डिजाइनिंग के कोर्स में अपना एडमिशन लिया. मां-पापा हैरान थे लेकिन मेरी मेहनत को देखकर इस बार वे मुझे रोक नहीं सके. दूसरी चीज जो मेरे दिमाग में थी कि जहां एडमिशन लिया, यह वो जगह नहीं थी जहां से ट्रेनिंग लेने के मैंने सपने देखे थे. लेकिन आसमां पाने के लिए जमीन तो चाहिए होती है, तो बस ये वही जमीन थी.

 

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