मनुष्य का धैर्यवान होना ही सबसे बड़ा धन
मनुष्य का धैर्यवान होना ही सबसे बड़ा धन
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प्रत्येक व्यक्ति के जीवन मे सुख-दुख का आना जाना स्वाभाविक सी बात होती है, जिस तरह सूर्य का उदय होता है फिर उसका अस्त भी होता है, दिन हुआ है तो रात होगी। जन्मा है तो मरेगा ये सब क्रिया प्रकृति के अनुसार चलती रहती है। जो भी व्यक्ति इन सब का सामना करते हुये आगे की और बढ़ता है, वही धैर्यवान कहलाता है। व्यक्ति के मन की सहनशीलता को ही धैर्य कहा जाता है।

सुख  का जीवन तो लोग आसानी से बिता लेते है पर दुख के समय से जल्द ही घबरा जाते है उनके घबराने से ये दुख दूर नहीं होता है। दुख को सहना ही पड़ता है। उसी मे उसकी महानता होती है। इन सभी को सहन करने वाले व्यक्ति धैर्यवान व सहनशीलता के पात्र मानें जाते है दुखों को सहन करने की शक्ति हमारे अंदर होनी ही चाहिये। यदि शक्ति नहीं है तो हो सकता है की दुख का सामना लंबे समय तक करना पड़े।

मनुष्य की सहनशीलता ही उसका सबसे बड़ा धन है अनेकों प्रकार के धन होते हुये यदि धैर्य रूपी धन ना हो तो वह पूरी जिंदगी परेशान रहता है। सहनशीलता रूपी धन को प्राप्त कर लेने से बाकी धन की प्राप्ति आसानी से हो जाती है। धैर्य ही जीवन का सच्चा धन है जो व्यक्ति की महानता का प्रतीक माना गया है।

अबदुल कलाम साहब नें कहा है -

"धैर्यवान व्यक्ति मलबरी व्रक्ष के पत्तों को भी रेशम में बदल सकता है"

"धैर्य एक ऐसी कुंजी है जो व्यक्ति की सफलता के ताले को खोल देती है"

एक नन्ही सी चींटी से सीखो कुछ बातें - चढ़ती है गिरती है ,गिरती है चढ़ती है पर अपनी मंजिल को पा ही लेती है क्योंकि उसके अंदर धैर्य व साहस होता है ।

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