अब हमे कभी तेरा दीदार नसीब ना होगा,
दोस्ती का रिशता कभी करीब ना होगा,
क्रोध मे पैदा की हमने जो गलत फहमियां,
शायद हमसे बडा कोई बदनसीब ना होगा..
अब हमे कभी तेरा दीदार नसीब ना होगा,
दोस्ती का रिशता कभी करीब ना होगा,
क्रोध मे पैदा की हमने जो गलत फहमियां,
शायद हमसे बडा कोई बदनसीब ना होगा..