नई दिल्ली : दूरसंचार कंपनियों ने अपने घटते मुनाफों की वजह से व्हाट्सएप व स्काइप जैसी ओवर द टॉप (ओटीटी) कंपनियों के लिए लाइसेंसिंग प्रणाली का प्रस्ताव किया है. हालांकि, नासकॉम का कहना है कि इन कंपनियों को लेकर पहले से ही देश में उपर्युक्त नियम मौजूद हैं.
उल्लेखनीय है कि नेट निरपेक्षता पर ट्राई के परामर्श पत्र पर सभी भागीदारों ने अपनी राय व्यक्त कर दी है. इस पत्र पर टिप्पणी देने की अंतिम तारीख 24 अप्रैल थी. भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकार (ट्राई) ने इस पत्र पर राय व टिप्पणी करने वाले 10 लाख से अधिक लोगों के नाम व ईमेल आईडी सार्वजनिक किए हैं.
दूरसंचार कंपनियों का कहना है कि उन्हें ओटीटी कंपनियों के साथ साझा समझौतों के आधार पर सेवाओं की पेशकश की अनुमति मिले. इन चर्चाओं के बीच देश की बड़ी टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन का कहना है कि वीओआईपी टेलीफोनिक सेवाओं के लिए उचित नियामकीय व वाणिज्यिक समाधान ढूंढे जाने की जरूरत है जबकि नासकॉम ने इसका विरोध किया है.
नासकॉम ने कहा है, "इंटरनेट प्लेटफॉर्म व सेवा संचार के लिए लाइसेंसिंग की जरूरत नहीं है". एयरटेल का कहना है, "दूरसंचार सेवा प्रदाताओं पर अनेक नियामकीय व लाइसेंसिंग शर्तें लागू होती हैं जबकि ओटीटी संवाद सेवा प्रदाताओं पर ऐसी कोई जवाबदेही नहीं है".
आइडिया के अनुसार, "समान सेवा, समान नियम होने चाहिए. इंटरनेट सेवा प्रदाता संगठन (आईएसपीएआई) ने भी समान सेवा समान नियम की मांग की है".