नई दिल्ली : हाल ही में दूरसंचार उद्योग के संगठन सेल्यूलर आपरेटर्स एसोसियेशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के द्वारा यह बात सामने आई है कि वित्त विधेयक 2016 के अंतर्गत स्पेक्ट्रम आवंटन को सेवाओं के दायरे में लाया जाना है और इसके इस दायरे में आने से दूरसंचार कंपनियों पर 77,000 करोड़ रुपये का ऋण का भार बढ़ जाना है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि यदि हम इस भार को उपभोक्ताओं पर डाल देते है तो इससे उन्हें शुल्क दर में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी.
इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि इस नए कदम से डिजिटल इंडिया पर भी प्रभाव पढ़ सकता है. इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि इसका वित्तीय समावेश योजना पर भी प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिल सकता है.
बताया जा रहा है कि उद्योग के द्वारा प्रस्तावों पर पुनर्विचार करने हेतु सरकार को कहा गया है. बता दे कि सीआईएआई ने कहा है कि यदि स्पेक्ट्रम आवंटन पर सेवा कर लगाया जाता है तो इससे जून-जूलाई में होने वाली नीलामी के दौरान, जहां आरक्षित मूल्य फ़िलहाल 5.36 लाख करोड़ रुपये है वहां उद्योग को करीब 77,000 करोड़ रुपये सेवाकर के रूप में चुकाना पड़ सकता है.