तीस्ता सीतलवाड़: परदादा को अंग्रेज़ों ने दी 'सर' की उपाधि, दादा पर मेहरबान रहे नेहरू.., कांग्रेस से करीबी रिश्ते
तीस्ता सीतलवाड़: परदादा को अंग्रेज़ों ने दी 'सर' की उपाधि, दादा पर मेहरबान रहे नेहरू.., कांग्रेस से करीबी रिश्ते
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मुंबई: तीस्ता सीतलवाड..., ये नाम गुजरात दंगों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के बाद से सुर्ख़ियों में है। मुंबई के रईस और वकीलों की खानदान में जन्मीं तीस्ता इस समय गुजरात दंगा मामले में पुलिस की गिरफ्त में हैं। तीस्ता अपने पति जावेद और दोनों बच्चों के साथ मुंबई के सबसे महंगे इलाके जुहू स्थित 'निरांत' नामक बंगले में रहती हैं। बता दें कि 'निरांत' का आम भाषा में अर्थ होता है 'जिसे रोका न जा सके' यानी Unstoppable। तीस्ता सीतलवाड़ का यह बंगला, बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन के बंगले जलसा के पास ही है। यही नहीं कहा तो ये भी जाता है कि तीस्ता का बंगला, बिग बी के बंगले से 3-4 गुना बड़ा है। इसकी अनुमानित कीमत लगभग 400-600 करोड़ रुपए बताई जाती है। 

तीस्ता सीतलवाड़ ने एक किताब भी लिखी है, जिसका नाम है 'Foot Soldier of the Constitution: A Memoir'। हिंदी में इसका मतलब 'संविधान के पैदल सैनिक: एक संस्मरण' होता है। इसमें तीस्ता ने अपने जन्म से लेकर बचपन, घर-परिवार, माता-पिता और दादा से रिश्तों के बारे में बहुत विस्तार से लिखा है। इस किताब में भी 'निरांत' बंगले का जिक्र मिलता है। दरअसल, 'निरांत' नामक यह बंगला तीस्ता ने नहीं  खरीदा है, बल्कि यह इनके पूर्वजों की कमाई हुई संपत्ति है। 'Foot Soldier of the Constitution: A Memoir' नामक अपनी पुस्तक में तीस्ता ने लिखा है कि 'वो (तीस्ता) अपनी बहन और माता-पिता के साथ इसी बंगले में बड़ी हुईं और अब यही उनका और उनके पति का स्थाई पता है।' गुजरात दंगे से संबंधित मामलों में 'निरांत' नामक बंगले का पता दर्ज है। गुजरात ATS जब उन्हें हिरासत में लेने मुंबई पहुंची थी, उस समय तीस्ता इसी बंगले में मौजूद थीं और यहीं से उन्हें हिरासत में लेकर अहमदाबाद ले जाया गया था।

 

तीस्ता ने अपनी किताब में बताया है कि जैसे-जैसे वो बड़ी हो रही थीं, उनकी अपनी मां सीता सीतलवाड़ से कुछ अनबन रहा करती थी, लेकिन पिता से उनकी काफी बनती थी। तीस्ता ने अपनी किताब में ये भी बताया है कि अपने दादा एमसी सीतलवाड़ के साथ उनके सबसे अच्छे रिश्ते थे। दादा-पोती की चहलकदमी से जुहू का 'निरांत' बंगला गुलजार रहा करता था। मुंबई के संभ्रांत पारसी परिवारों में सीतलवाड़ परिवार का नाम भी शामिल था। बता दें कि तीस्ता के दादा का नाम मोतीलाल चिमनलाल सीतलवाड़ है, जो पहले और देश के सबसे लंबे समय तक अटॉर्नी जनरल रहे और चिमनलाल हरिलाल सीतलवाड़ के पुत्र थे। तीस्ता सीतलवाड़ के परदादा को ब्रिटिश राज में गोरों द्वारा 'सर' की उपाधि दी गई थी। जलियांवालाबाग हत्याकांड की जांच के लिए 1 अक्टूबर 1919 लॉर्ड हंटर की अध्यक्षता में बनी कमेटी में चिमनलाल सीतलवाड़ को सदस्य बनाया गया था। इससे सीतलवाड़ परिवार की सियासी हैसियत का अनुमान लगाया जा सकता है।

समय गुजरा, अंग्रेज़ गए और 1947 में देश बंटवारे के साथ स्वतंत्र हुआ और पंडित जवाहरल लाल नेहरू देश के प्रथम PM बने, तो उन्होंने चिमनलाल के बेटे मोतीलाल सीतलवाड़ को देश का पहला अटॉर्नी जनरल बनाया, जो 13 वर्षों तक (1950-1963) तक इस पद पर रहे। इसके साथ ही मोतीलाल 1961 में स्थापित बार काउंसिल ऑफ इंडिया के पहले प्रमुख भी थे। मोतीलाल के बेटे और तीस्ता के पिता अतुल सीतलवाड़ देश के नामी वकीलों में गिने जाते थे। इससे सीतलवाड़ परिवार और गांधी परिवार की नज़दीकियों के बारे में साफ़ पता चलता है, इसी के चलते ही तीस्ता ने गुजरात दंगों के समय तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ अभियान चलाया और कांग्रेस को फायदा पहुंचाने की पूरी कोशिश की। लेकिन इस मामले में नरेंद्र मोदी को तो क्लीन चिट मिल गई और तीस्ता खुद फंस गई। तीस्ता के एक पूर्व सहयोगी रईस खान ने तो यहाँ तक दावा किया है कि, उन्होंने गुजरात दंगों के पीड़ितों को मदद देने के नाम पर देश-विदेश से करोड़ों का चंदा लिया और फिर पूरा पैसा हजम कर लिया। बहरहाल, फिलहाल तीस्ता हिरासत में हैं और कांग्रेस उनके बचाव में पूरा जोर लगा रही है, शायद पुराने संबंधों के कारण कांग्रेस ऐसा कर रही है। 

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