शिक्षक ही घटा रहे हैं, संस्कृत की शिक्षा को
शिक्षक ही घटा रहे हैं, संस्कृत की शिक्षा को
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अजीतगढ़: देश में शिक्षा की स्थिति कभी बच्चों के न होने से डगमगाती हैं, तो कभी शिक्षकों के आभाव में शिक्षा तंत्र झूलने लगता है. खटकड़ एवं अजीतगढ़ के हाल भी यही कुछ बयां कर रहे है. जिले के संस्कृत स्कूल जिले एवं प्रदेश में नामांकन एवं शैक्षिक स्तर से श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए पहचाने जाते थे. लेकिन अब हालात यह है कि दशकों से शिक्षकों के पद रिक्त होने से वर्तमान में यह नामांकन तक काफी नीचे चला गया है. स्कूलों के साथ माता-पिता भी शिक्षको के अभाव में अपने बच्चों को संस्कृत की शिक्षा से दूर ले जा रहे है.

विद्यालयों और स्कूलों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक़ अजीतगढ़ प्रवेशिका स्कूल में एक प्रधानाध्यापक, छह द्वितीय श्रेणी शिक्षक, दो तृतीय श्रेणी शिक्षक, एक शारीरिक शिक्षक, दो चतुर्थ श्रेणी कार्मिक, एक पुस्तकालयाध्यक्ष, एक लिपिक का पद स्वीकृत है. इनमें से वर्ष 2004 से गणित विषय के वरिष्ठ शिक्षक, 2014 से विज्ञान विषय शिक्षक, शारीरिक शिक्षक, एक चतुर्थ श्रेणी कार्मिक के पद रिक्त हैं. वही खटकड़ स्कूल की 10 कक्षाएं महज चार शिक्षकों पर टिकी हुई है.

इस अनुचित शिक्षा के मामले में अजीतगढ़ राजकीय प्रवेशिका संस्कृत स्कूल प्रधानाध्यापक श्रीराम स्वामी का कहना है कि, 'अजीतगढ़ एवं खटकड़ में विभिन्न विषयों के शिक्षकों के पद दशकों से रिक्त हैं'. इसकी जानकारी विभाग एवं उच्चाधिकारियों को अनेक बार दी जा चुकी, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है. स्टाफ की कमी के कारण अभिभावक संस्कृत स्कूलों में दाखिला नहीं दिलवा रहे हैं.

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