हिमाचल प्रदेश में करिये इन ऐतिहासिक मठों की सैर
हिमाचल प्रदेश में करिये इन ऐतिहासिक मठों की सैर
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हिमाचल प्रदेश भारत का ऐसा राज्य है, जो न केवल खूबसूरत पहाड़ियों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि उसके कई प्राचीन और आधुनिक मठ विश्व के दर्शनीय स्थलों में गिने जाते हैं। इसके साथ ही इन्हें देखने के लिए हर साल लाखों लोग आते हैं। इसके साथ ही इनमें विदेशी के साथ स्थानीय सैलानी मौजूद  हैं। इसके साथ ही यहां आने पर जो शांति और सुकून मिलता है, शायद ही और कहीं मिले। वहीं इस बार हिमाचल आएं तो एतिहासिक मठों का भी दौरा करें। एक नजर डालते हैं, उन मठों पर।

पालपुंग शेरबलिंग मठ, पालमपुर
प्राकृतिक सुंदरता और तन-मन को शीतल करने वाली ठंड हवा के झोंकों के बीच बसा है, तिब्बती बौद्धों का पवित्र स्थल पालपुंग शेरबलिंग मठ। इसके साथ ही कांगड़ा घाटी की तलहटी में बसे इस मठ में एक शांत और भावपूर्ण वातावरण का आनंद मिल सकता है । यह मठ हजारों तिब्बती बौद्ध भिक्षुओं के लिए धर्म और दर्शन के लिए अध्ययन का प्रमुख केंद्र है। वहीं धार्मिक केंद्र की ओर जाने वाले मार्ग पर देवदार के जंगल और रंगीन प्रार्थना झंडे आपको उत्साहित कर देंगे। इसके साथ ही मठ के अंदर ही एक अलग तरह की दुनिया है, जो प्रकृति की ओर ले जाएगी। यहां पहुंचना आसान है। अगर आप रेल मार्ग से जाते हैं तो पंजाब के पठानकोट पहुंचें। वहां से जोगिंदर नगर चलने वाली ट्रेन से बैजनाथ स्टेशन पर उतरकर टैक्सी से पालपुंग जा सकते हैं। चंडीगढ़ से बैजनाथ के लिए वॉल्वो व साधारण बस की सेवा है। बैजनाथ से बस आधे घंटे का रास्ता है।

स्पीति वैली का ताबो मठ
स्पीति वैली में स्थित ताबो मठ समतल घाटी के तलहटी में बसा हुआ है। इसके साथ ही यहां पर जाने का अनुभव कुछ महाराष्ट्र की अजंता की पहाड़ी जैसी फीलिंग आती है, इसलिए इसे हिमालय का अजंता भी कहा जाता है। 996 ई. में स्थापित ताबो मठ, स्पीति घाटी का सबसे बड़ा बौद्ध मठ परिसर है। यहां चट्टान में खोदी गई कई गुफाएं हैं, जहां बौद्ध भिक्षु ध्यान लगाते थे।इसके साथ ही  यह मठ काजा से करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। काजा से यहां रेग्युलर बसें चलती हैं। यहां पर रुकने की अच्छी व्यवस्था है। वहीं  काजा के साथ ताबो में भी होटल हैं। हिमाचल टूरिज्म का दी स्पीति होटल भी काजा में स्थित है। यदि यहां जाना हो तो मई से लेकर नवंबर के बीच कभी भी जा सकते हैं।

मंडी का रिवाल्सर मठ
इस भूमि को  बौद्ध गुरु एवं तांत्रिक पद्मसंभाव की साधना स्थली माना जाता है। मान्यता है कि  धार्मिक गुरु अपनी आध्यात्मिक शक्तियों की सहायता से रिवाल्सर से उड़कर तिब्बत गए और वहां पर महायान बौद्धधर्म का प्रचार तथा स्थापना की। विश्व भर से तिब्बत के लोग पूजा-अर्चना करने और श्रद्धांजलि देने रिवाल्सर आते हैं। झील के किनारे तीन बौद्ध मठ हैं। वहीं इनमें एक मठ भूटान के लोगों का है। यहां की झील बहुत ही खूबसूरत है। झील के साथ ही हिंदू, बौद्ध और सिख मंदिर मौजूद हैं। वहीं घने पेड़ों व ऊंची पहाड़ियों से घिरी यह झील प्राकृतिक सौंदर्य के आकर्षण का केंद्र है।इसके साथ ही  मंडी से मात्र 24 किमी दूर है। यहां एक गुरुद्वारा भी है। कहते हैं कि गुरु गोविंद सिंह ने मुगल साम्राज्य से लड़ते समय साल 1738 में  झील के शांत वातावरण में कुछ समय बिताया था। इसके साथ ही गर्मियों के दिनों में यहां का मौसम सुहावना रहता है। पास में कुछ और भी झीलें हैं, जो देखने योग्य हैं। नैना देवी मंदिर यहां से मात्र दस किमी की दूरी है। यदि ट्रेन से जाना चाहते हैं तो रिवाल्सर से लगभग 78 किमी दूर जोगिंदर नगर रेलवे स्टेशन है। सड़क मार्ग से आसानी से जा सकते हैं। मंडी से मात्र 20 किमी दूर स्थित है।

सबसे पुराना कीह मठ
कीह मठ लाहौल-स्पीति जिले में स्थित की बौद्ध मठ सबसे पुराने मठों में गिना जाता है। यहां बौद्ध धर्म से संबंधित पुस्तकें व भगवान बौद्ध व अन्य देवियों की कलाकृतियां हैं। यहां बौद्ध धर्म की शिक्षा-दीक्षा होती है। इसमें वर्तमान में करीब 160 लामा अध्ययन और शोध कार्यों में जुटे हैं। यह समुद्र से 4,166 मीटर की ऊंचाई पर है। बौद्ध धर्म के प्रचारक द्रोमटोन ने इसे 11वीं सदी में खोला था। वास्तुकला का अनूठा नमूना देखना हो तो एक बार इसे जरूर देखें। दुनिया भर के पर्यटक यहां पहुंचते हैं। पिछले साल ही गणतंत्र दिवस पर राजपथ पर इस गोंपा की झांकी दिखाई जा चुकी है। यह मठ काजा के करीब 12 किमी की दूरी पर स्थित है। मनाली से भी सड़क के रास्ते जा सकते हैं।

बौद्ध कला और संस्कृति का मुख्य केंद्र धनकर मठ
यह मठ भी हिमाचल प्रदेश के लाहौल और स्पीति जिले में स्थित है। करीब 1000 फीट ऊंचे पहाड़ पर एक हजार साल पहले निर्मित इस मठ से स्पीति और पिन नदियों के संगम के छू लेने वाले दृश्यों को देखा जा सकता है। धनकर मठ बौद्ध कला और संस्कृति के मुख्य केंद्रों में से एक होने की वजह से प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बन गया है। इस मठ में ध्यान बुद्ध की मूर्ति और एक छोटा संग्रहालय है, जो धर्मग्रंथों और भित्ति चित्रों को संग्रहीत करता है। इस मठ के नीचे शिचिलिंग का गांव है। यहां एक नया मठ है। मठ से 2 किमी की दूरी पर प्राचीन धनकर झील स्थित है। यहां पर जाने का सबसे सही समय गर्मियों का मौसम होता है। जब पूरे भारत में तेज गर्मी होते हैं उस समय स्पीति का तापमान 0 से 15 डिग्री सेल्सियस तक होता है। बारिश के दिनों में यहां बचना होगा। यहां तिब्बती के साथ इजरायली भोजन मिलेगा।

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