कलयुग में गुरु शिष्य परंपरा की मिसाल बनी ये सच्ची तस्वीरें
कलयुग में गुरु शिष्य परंपरा की मिसाल बनी ये सच्ची तस्वीरें
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शिक्षक भगवान का रूप होते है और बच्चो से उनका रिश्ता बेहद खास हो होता है . मगर आज की दुनिया में ये रिश्ता धुंधला पड़ता जा रहा है. मगर श्रेष्ट अपनी श्रेष्टता हर देश, काल और मुश्किल में साबित कर ही देता है.ऐसा ही एक उदाहरण मिला है तमिलनाडु के थिरुवल्लूर के एक सरकारी स्कूल में. जहा बच्चों ने अपने सच्चे, प्यारे और मेहनती शिक्षक श्री जी के ट्रांसफर की खबर सुन उनको बाहों में भर लिया और जाने का पुरजोर विरोध किया है. गांव के सरकारी स्कूल में छठी से दसवीं तक की बच्चियों को पढ़ाते थे.21 जून को जब उन्होंने विद्यार्थियो को सूचना दी कि उनका ट्रांसफर हो गया है और अब वे यह गांव छोड़कर दूसरे गांव के स्कूल में पढ़ाएंगे, तब बच्चे सच में बच्चों की तरह रोने लगे और  और कहा -- " सर, प्लीज़ मत जाइये!"

फूल से बच्चों ने रो-रोकर उन्हें जकड़ लिया. "नहीं जाने देंगे, सर! मत जाओ!" बच्चों के अभिभावक भी आ गए और वे भी रोने लगे. भावनाओं से ओतप्रोत 28 साल के शिक्षक की यह पहली नौकरी है. बेचारे शिक्षक को कुछ समझ नहीं आया कि अब क्या करें, भावुक हो गये तो वे भी रोने लगे. इन बच्चियों की तरह मेरी आंखें भी नम हैं!

ये दुर्लभ प्रेम, स्नेह, कर्तव्यपरायणता का नज़ारा इस युग में विरले ही देखने को मिलेगा . ये मिसाल है कि आज भी कुछ छात्र और शिक्षक है जो गुरु शिष्य कि उस परंपरा को जी रहे है जो सिर्फ अब किताबों में पढ़ी जाती है. 

 

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