ज़हमत मेरे कातिल तुझे होगी न ज़रा भी तलवार भी मौजूद है हाज़िर है गला भी दोनों ही आसिरी का सुनाती हैं फ़साना ज़ंजीर की झंकार भी पायल की सदा भी