भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने आगरा स्थित कोर्ट ऑफ सिविल जज (सिनियर डिविजन) को गुरुवार को लिखित जवाब में बताया कि ताजमहल पूर्व में एक मकबरा था, ना कि कोई मंदिर. ये मुस्लिम वास्तुकला की एक उत्कुष्ट कृति है. एएसआई ने वर्ल्ड हेरिटेज साइट की इस बात से साफ इंकार किया कि पूर्व ये हिंदू भगवान शिव का मंदिर था . इस मामले की अगली सुनवाई 11 सितम्बर को होगी.
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015 में छह वकीलों ने मुकदमा दायर कर दावा किया था कि ताजमहल पूर्व में एक शिव मंदिर था. जिसका नाम तेजो महल था. इसलिए हिंदू धर्म के मानने वालों को ताजमहल परिसर के दर्शन और आरती की अनुमति दी जानी चाहिए. इसके अलावा स्मारक के उन कमरों को खोलने की भी मांग की गई थी जिन्हें बंद किया गया है.इस मामले में कोर्ट ने अपने जवाब से पहले केंद्र सरकार और केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के साथ गृह सचिव व एएसआई को भी नोटिस जारी किया था.
आपको बता दें कि वर्तमान में केवल मुस्लिम समुदाय के ही लोग ताजमहल परिसर के पास नमाज पढ़ सकते हैं. यहां ताजमहल परिसर में स्थित मस्जिद में हर शुक्रवार को मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज अता करने आते हैं. स्मरण रहे कि देश में एएसआई के पास पुरातात्विक अनुसंधान और ऐतिहासिक स्मारकों के संरक्षण और शोध का भी उत्तर दायित्व है.
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