देश में लॉकडाउन एक मजबूत कदम के रूप में सामने आया था. उम्मीद थी कि इस दौरान वायरस के संक्रमण को रोक लिया जाएगा. वही, संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग (शारीरिक दूरी) एकमात्र उपाय है. पिछले दिनों कुछ रिपोर्ट भी आईं थीं कि भारत जैसे देश में कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ने का औसत गंभीर रूप से प्रभावित और विकसित देशों से काफी कम है.
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इस कारण 21 दिन का तप देश को सुरक्षित रास्ते पर ले जा रहा था. लेकिन कुछ दिन पहले दिल्ली से आई तब्लीगी जमात की खबर ने एक बड़ी समस्या को खड़ा कर दिया है. दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित एक स्थान पर करीब दो हजार लोगों के इकट्ठा होने और उनमें से कुछ में कोरोना के पाजिटिव मरीज होने की खबर ने हड़कंप मचा दिया है. देश में एक तरफ शासन, प्रशासन व पुलिस हर तरह से लोगों को घरों में रहने के लिए अपील कर रही है. कई जगह सख्ती भी दिखाई गई. ये सभी काम कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए था.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि देश की राजधानी दिल्ली में आयोजित तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए सैकड़ों लोगों की जानकारी वहां की पुलिस और शासन को देर से होना बड़ा सवाल खड़ा करता है. कार्यक्रम में लोग शामिल न हो सकें इसका पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए था. ये एक बड़ी चूक है, जिसका खामियाजा देश की उस जनता को उठाना पड़ेगा जो देश के हर नागरिक की सुरक्षा के लिए अपने घरों में सीमित हैं. उधर जमात में शामिल होने वाले लोगों ने भी समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी न दिखाते हुए ‘समाजद्रोही’ का कार्य किया है. उनकी इस गलती का ही नतीजा है कि पिछले दो दिनों में कोरोना के पाजिटिव मरीजों की संख्या में जबरदस्त उछाल आया है. शुरुआत का एक सप्ताह काफी ठीक रहा.
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