स्वामी दयानंद आर्य समाज के संस्थापक, महान चिंतक, समाज-सुधारक और देशभक्त थे। अगर हिंदू पंचांग को माना जाए तो फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि पर आर्य समाज के संस्थापक और समाज-सुधारक महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती की जयंती मनाई जाती है। आप सभी जानते ही होंगे स्वामी दयानंद सरस्वती ने बाल विवाह, सती प्रथा जैसी कुरीतियों को दूर करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। केवल यही नहीं बल्कि उन्होंने वेदों को सर्वोच्च माना और वेदों का प्रमाण देते हुए हिंदू समाज में फैली कुरीतियों का विरोध किया। अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं स्वामी दयानंद सरस्वती के अनमोल विचार।
* नुकसान से निपटने में सबसे जरूरी चीज है उससे मिलने वाले सबक को ना भूलना। वो आपको सही मायने में विजेता बनाता है।
* इंसान को दिया गया सबसे बड़ा संगीत यंत्र आवाज है।
* कोई मूल्य तब मूल्यवान है जब मूल्य का मूल्य स्वंय के लिए मूल्यवान हो।
* आप दूसरों को बदलना चाहते हैं ताकि आप आजाद रह सकें लेकिन, ये कभी ऐसे काम नहीं करता। दूसरों को स्वीकार करिए और आप मुक्त हैं।
* गीत व्यक्ति के मर्म का आह्वान करने में मदद करता है और बिना गीत के मर्म को छूना मुश्किल है।
* अगर आप पर हमेशा ऊंगली उठाई जाती रहे तो आप भावनात्मक रूप से अधिक समय तक खड़े नहीं हो सकते।
* किसी भी रूप में प्रार्थना प्रभावी है क्योंकि यह एक क्रिया है इसलिए इसका परिणाम होगा। यह इस ब्रह्मांड का नियम है जिसमें हम खुद को पाते हैं।
* वह अच्छा और बुद्धिमान है जो हमेशा सच बोलता है, धर्म के अनुसार काम करता है और दूसरों को उत्तम और प्रसन्न बनाने का प्रयास करता है।
* वर्तमान जीवन का कार्य अन्धविश्वास पर पूर्ण भरोसे से अधिक महत्त्वपूर्ण है।
* धन एक वस्तु है जो ईमानदारी और न्याय से कमाई जाती है, इसका विपरीत है अधर्म का खजाना।
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