उज्जैन : उज्जैन में सिंहस्थ 2016 अंतिम शाही स्नान के साथ पूर्णता की ओर है। ऐसे में लाखों श्रद्धालुओं ने मोक्षदायिनी शिप्रा और पुण्यसलिला नर्मदा के संगम तट पर डुबकी लगाकर पुण्यलाभ कमाया। हालांकि सिंहस्थ पर्व का औपचारिक समापन हो गया है लेकिन साधु-संतों के डेरे अभी कुछ दिन सिंहस्थ में बने रहेंगे। कुछ साधु-संत एक दो दिन रूकेंगे तो कुछ और कु्रछ दिन। ऐेसे में श्रद्धालुओं को सिंहस्थ क्षेत्र में साधुओं का सान्निध्य मिलेगा।
हालांकि बड़े पैमाने पर श्रद्धालु साधु-संतों का दर्शनलाभ पहले ही ले चुके हैं। इन संतों में कुछ संत हिमालय से साधनाऐं कर सिंहस्थ के लिए यहां आए हैं। इतने दिनों में इन संतों ने अपनी साधनाओं के माध्यम से प्राप्त की हुई अपनी योग क्रियाओं को लोगों को प्रदान किया। जिससे उनका उत्कर्ष हो सके। ऐसे ही एक संत हैं स्वामी श्री बुद्धुपुरी महाराज। इन्होंने सात सुरों के संयोजन से सप्तक साधना को विकसित किया। मुंह से सातों सुरों के संयोजित उच्चारण से सप्तकसाधना को उन्होंने विकसित किया।
यही नहीं उन्होंने सिद्धामृत सूर्यक्रिया योग की विधि विकसित की। जिससे सूर्यदेव की उर्जा विभिन्न रोगों से लड़ने में कारगर हो सके। ये मानव उपयोगी योग और साधनाऐं आचार्य श्री बुद्धुपुरी महाराज जी के सान्निध्य में और उनके शिष्यों सुर्येन्दुपुरी महाराज के मार्गदर्शन में सिखाई जाती थीं।
इन साधनाओं का लाभ बड़े पैमाने पर श्रद्धालुओं ने लिया। श्रद्धालु अब स्वामी जी से एक बार फिर यह विधि सीखना चाहते हैं। इसके लिए उन्हें इंतजार है कि आखिर कब वह संयोग आए और वे यह योग दुबारा स्वामीजी के सान्निध्य में करे।
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