नई दिल्ली : इंडोनेशिया में ड्रग तस्करी के आरोप में मौत की सजा का सामना करने वाले भारतीय गुरदीप सिंह को बचाने की भारत सरकार की सारी कोशिशें विफल हो गई। इंडोनेशियाई सरकार ने परिजनों, मानवाधिकार समर्थकों और विदेशी सरकारों द्वारा की गई सारी अपीलों को खारिज कर दिया है। गुरदीप के साथ ही 13 अन्य लोगों को भी मौत की सजा सुनाई गई थी, जिसमें से चार को मौत की सजा दे दी गई है।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने गुरदीप की पत्नी से फोन पर बात की। घर में मातम के माहौल के बीच परिजनों को उम्मीद है कि इस बार भी मौत की सजा किसी तरह से टल जाएगी। इंडोनेशिया के तांगेरांग बांटेन प्रांत में एक जिला अदालत ने सिंह को कथित तौर पर मौत की सजा सुनाई है। बता दें कि देश में मादक पदार्थों की तस्करी के आरोप में 48 वर्षीय गुरदीप सिंह को दोषी करार दिया गया था। वो पंजाब के जालंधर के रहने वाले है।
इंडोनेशिया के अटॉर्नी जनरल नूर रामचंद ने बताया कि जिन्हें गुरुवार को मौत की सजा दी गई उनमें दो नाइजीरियाई, एख सेनेगल और एक इंडोनेशियाई है। अन्य बचे आरोपियों की सजा की तारीख अभी तय नहीं की गई है। कई एंबुलेंस ताबूत को जेल में मंगवाया गया है।
सभी दोषियों को सजा के तौर पर सिर में गोली मारी जाएगी। यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त ने इंडोनेशिया से मौत की सजा की तामील पर तत्काल रोक लगाने की मांग की। गुरदीप के भांजे गुरपाल सिंह ने बताया कि किसी काम से वो 2002 में न्यूजीलैंड के लिए निकले थे, लेकिन उन्हें गलत तरीके से इंडोनेशिया ले जाया गया।
हमें लगता था कि वो न्यूजीलैंड में ही। 2004 में अचानक हमें पता चला कि वो इंडोनेशिया में ड्रग तस्करी के आरोप में जेल में बंद है और 2005 में मौत की सजा दे दी गई। जिसके साथ वो न्यूजीलैंड जाने वाले थे, उसने उनका पासपोर्ट रख लिया और उनसे गलत काम करवाने लगा। गुरदीप सिंह ने अपनी पत्नी से एक बार बातचीत में कहा कि मुझे गोली मार दी जाएगी।
मेरे शव को स्वेदश मंगवा लेना। कुलविंदर कौर ने रूंधे गले से बताया कि भारतीय दूतावास के अधिकारी का फिर मेरे पास फोन आया था। इस बार आवाज मेरे पति की थी और उन्होंने मुझे कहा कि आज रात उन्हें गोली मार दी जाएगी और मैं उनका शव यहां मंगवा लूं।