प्याज की बढ़ी कीमतों के कारण इस सीएम ने गंवायी थी कुर्सी
प्याज की बढ़ी कीमतों के कारण इस सीएम ने गंवायी थी कुर्सी
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नई दिल्लीः प्याज को राजनीतिक रूप से संवेदनशील माना जाता है। प्याज की बढ़ी कीमतें अक्सर सुर्खीयां बनती हैं। सरकारों के माथे पर बल ला देती है। विशलेषक अक्सर दिल्ली का उदाहरण देते हैं। दरअसल दिल्ली में प्याज की बढ़ी कीमतें और महंगाई के कारण तत्कालीन दिल्ली की भाजपा सरकार को राज्य में सत्ता गंवानी पड़ी थी। इस सरकार का नेतृत्व सुषमा स्वराज कर रही थीं। 1993 में भाजपा दिल्ली में पहली बार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई और पार्टी के दिग्गज नेता मदनलाल खुराना मुख्यमंत्री बने।

2 साल 86 दिन के बाद 1996 में मदन लाल खुराना की जगह साहब सिंह वर्मा को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया गया। विधानसभा चुनाव से महज कुछ महीने पहले भाजपा ने कद्दावर महिला नेता सुषमा स्वराज को सीएम बना दिया। उधर कांग्रेस पार्टी ने चुनाव से पहले दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की कमान शीला दीक्षित को सौंप दी। इस तरह से दिल्ली की सियासी जंग मजेदार हो चली थी। शीला ने जहां दिल्ली में कांग्रेस संगठन को सक्रिय किया, वहीं खुद को सुषमा स्वराज के विकल्प के तौर पर स्थापित किया।

इसके चलते 1998 का चुनाव शीला दीक्षित बनाम सुषमा स्वराज हो गया। दोनों दिग्गज नेता थी। इस चुनाव में सुषमा स्वराज पर शीला दीक्षित का जादू भारी पड़ा। प्याज की कीमत, महंगाई के कारण बीजेपी केवल 15 सीटों पर रूक गई। सुषमा बतौर दिल्ली की सीएम कानून व्यवस्था को लेकर काफी चौंकन्ना थीं। वह दिल्ली पुलिस की जिप्सी में अक्सर बैठकर रात में सड़कों पर घूमती थी। उनका मानना था कि राजधानी में लड़कियां सुरक्षित रहे।

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