नई दिल्लीः सुषमा स्वराज भारतीय राजनीति में एक बहुत बड़े चेहरे के तौैर पर देखी जाती थीं। उनके कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह बीजेपी में पीएम पद के लिए प्रबल दावेदार के तौर पर देखी जाती थीं। सुषमा भारतीय सियासत में महिला राजनीति की एक धुरी थी। सुषमा स्वराज पूर्व विदेश मंत्री, दिल्ली की पूर्व मुख्य मंत्री ,लोकसभा में विपक्ष के नेता और सात बार सांसद रह चुकी थीं।
हरियाणा के अंबाला में 14 फरवरी 1952 को जन्मी श्रीमती स्वराज ने हरियाणा से ही अपने राजनीतिक करियर का आगाज किया। वह दो बार 1977 और 1987 में राज्य की विधानसभा के लिए अंबाला छावनी सीट से चुनी गयीं और दोनों मौकों पर कैबिनेट मंत्री रहीं। वह मात्र 25 साल की उम्र में हरियाणा में कैबिनेट मंंत्री बनी थीं।27 साल की आयु में 1979 में जनता पार्टी की हरियाणा इकाई की अध्यक्ष बनीं।
हरियाणा में चौधरी देवीलाल सरकार में दो बार मंत्री रहीं सुषमा स्वराज ने 1985-86 के न्याय युद्ध आंदोलन में भी हिस्सेदारी की थी। इस आंदोलन में महिलाओं के नेतृत्व सुषमा स्वराज ने ही किया था। सुषमा स्वराज को लाल कृष्ण आडवाणी केंद्र की राजनीति में ले गए थे। भाजपा ने उन्हें 1990 में राज्य सभा की सदस्य बनाकर संसद भेज दिया। उनके विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद अनिल विज को चुनाव मैदान में उतारा गया। वर्ष 1996 तक राज्यसभा सदस्य रहने के दौरान सुषमा स्वराज देश के सियासी पटल पर छा गईं।
वह दक्षिण दिल्ली से चुनाव जीतकर सांसद बनीं। 13 दिन और 13 महीने की वाजपेयी सरकार में मंत्री रहीं। वर्ष 1996 में वह पहली बार लोकसभा के लिए चुनी गयीं। अपने 40 साल के राजनीतिक जीवन में वह तीन बार राज्यसभा सदस्य और चार बार लोकसभा सदस्य रहीं। वह भारत की पहली महिला विदेश मंत्री भी रही। इसके साथ ही दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री और देश में किसी राष्ट्रीय राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता होने का गौरव भी सुषमा स्वराज को मिला।
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