नई दिल्लीः केंद्र की सियासत में सक्रिय होने के बाद सुषमा स्वराज का हरियाणा की राजनीति में दखल लगभग खत्म हो गया था। लेकिन हरियाणा की इस बेटी ने न केवल अपने जीवन बल्कि अपनी सियासी सफर की शुरूआत भी यहीं से की। सुषमा स्वराज का अंबाला में अपने मायके और हरियाणा व चंडीगढ़ से हमेशा जुड़ाव बना रहा। सुषमा स्वराज विलक्षण प्रतिभा की धनी थी। उनका जन्म 14 फरवरी 1952 को हुआ था। उनके पिता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रतिष्ठित सदस्य थे।
उन्होंने राजनीति विज्ञान और संस्कृत विषयों से अंबाला छावनी के एसडी कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। सुषमा स्वराज ने चंडीगढ़ में पंजाब विश्वविद्यालय के कानून विभाग से एलएलबी की डिग्री हासिल की। 1970 में उनको अंबाला छावनी के एसडी कॉलेज में सर्वश्रेष्ठ छात्रा का पुरस्कार हासिल किया । उनकी रुचि शास्त्रीय संगीत,कविता,ललित कला और नाटक में भी थी। उन्हें कविता और साहित्य पढ़ना भी अच्छा लगता था। सुषमा स्वराज को लगातार तीन वर्षों तक एसडी कॉलेज के एनसीसी की सर्वश्रेष्ठ सैनिक छात्रा घोषित किया गया।
हरियाणा के भाषा विभाग द्वारा आयोजित एक राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में उन्हें लगातार तीन वर्षों तक सर्वश्रेष्ठ हिंदी वक्ता पुरस्कार प्रदान किया गया। वह एसी बाली मेमोरियल घोषणा प्रतियोगिता में पंजाब विश्वविद्यालय की सर्वश्रेष्ठ हिंदी वक्ता बन गईं। उन्होंने भाषण प्रतियोगिताओं, वाद विवाद प्रतियोगिताओं, नाटकों और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों में कई पुरस्कार जीते हैं।
वह चार साल तक हरियाणा राज्य के हिंदी साहित्य सम्मेलन की अध्यक्षा भी रहीं। सुषमा स्वराज ने सियासत की शुरूआत छात्र नेता के रूप में की थी। वह वर्ष 1970 में छात्र राजनीति में सक्रिय हुईं। वह 1974 में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में शामिल हुईं। शानदार वक्ता और प्रचारक हाेने के कारण उनको जल्द ही उनको खास पहचान मिली। आपातकाल के बाद 1977 हुए विधानसभा चुनाव में विधायक बनीं। सुषमा स्वराज को हरियाणा राज्य विधानसभा द्वारा सर्वश्रेष्ठ वक्ता पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
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