Jan 12 2016 02:16 PM
उत्तराखंड : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि धार्मिक आधार के अपवाद को छोड़कर किसी भी महिला श्रद्धालु को मंदिर में पाठ-पूजा करने से नहीं रोका जा सकता. जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष और जस्टिस एन.वी. रमना की बैंच ने सोमवार को यह बात इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कही. एसोसिएशन ने सबरीमाला अयप्पन मंदिर की उस प्रथा को चुनौती दी है, जिसके तहत मंदिर में 10 से 50 साल तक की बच्चियों व महिलाओं का प्रवेश वर्जित है.
कोर्ट ने कहा कि मंदिर सिवाय धार्मिक आधार के किसी अन्य आधार पर प्रवेश वर्जित नहीं कर सकता. जब तक उसके पास इसका संवैधानिक अधिकार नहीं है, तब तक कोर्ट ऐसा कोई कदम नहीं उठा सकता. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 8 फरवरी को रखी है.
सबरीमाला मंदिर तिरुवनंतपुरम से 100 किलोमीटर दूर पथानमथिट्टा जिले में पंबा नदी के पास चार किलोमीटर की चढ़ाई पर एक पहाड़ी पर स्थित है. तरुणायी हासिल कर चुकी महिलाओं के लिए वर्जित इस मंदिर तक केवल पैदल ही पहुंचा जा सकता है. हफ्ते में पांच दिन खुलने वाले मंदिर में लाखों श्रद्धालु आते हैं.
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