नई दिल्ली: आधार और अन्य कानून (संशोधन) विधेयक-2019 पर केंद्र सरकार के अध्यादेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है। इस मामले को लेकर आज शीर्ष अदालत में सुनवाई होनी है। इस अध्यादेश को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आधार कानून में संशोधन के लिए अध्यादेश लाने को अनुमति दी है जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। मंत्रिमंडल के फैसले की जानकारी देते हुए 28 फरवरी को केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आधार को स्वैच्छिक रूप से मोबाइल नंबर, बैंक खातों से लिंक करने को कानूनी आधार प्रदान करने के लिए अध्यादेश लाने को अनुमति दी है।
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वहीं केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि लोकसभा ने 4 जनवरी को इससे संबंधित विधेयक पास कर दिया था, किन्तु यह विधेयक राज्य सभा में प्रस्तुत नहीं किया जा सका था। इसलिए अब सरकार ने अध्यादेश का रास्ता अपनाया है। इन संशोधनों के माध्यम से आधार के गलत इस्तेमाल को रोकने और लोगों की निजता को बरक़रार रखने के लिए कड़े प्रावधान किए गए हैं। अब किसी शख्स की पहचान के लिए आधार को अनिवार्य नहीं किया जाएगा।
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आपको बता दें कि आधार अध्यादेश 2019 को दो स्तरों पर चुनौती दी जा सकती है। संशोधनों को मूल रूप से संसद में एक बिल के माध्यम से लाया गया था जिसे लोकसभा में पास कर दिया गया, किन्तु यह विधेयक राज्यसभा में पारित नहीं हो सका। संसद सत्र के समाप्त होने से पहले इसे अंतिम रूप नहीं दिया जा सका। इसलिए मोदी सरकार ने अध्यादेश का रास्ता चुना। हालांकि, अध्यादेशों को संविधान के अनुच्छेद 123 में निर्दिष्ट शर्तों को पूरा किए जाने की स्थिति में में ही लागू करने का प्रावधान है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि आध्यादेश के माध्यम से केंद्रीय सरकार अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल कर सकती है।
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