नई दिल्ली : अलग-अलग रह रहे दंपत्ति को एक साथ रहने का आदेश देने के कानून को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है. लॉ की पढ़ाई कर रहे छात्रों की तरफ से दी दाखिल की गई इस याचिका में कहा गया है कि पति पत्नी का अलग रहना तलाक का आधार जरूर हो सकता है, किन्तु किसी को जबरदस्ती साथ रहने को मजबूर नहीं किया जा सकता. लॉ स्टूडेंट्स ने व्यक्ति के निजता के अधिकार का हवाला देते हुए इस व्यवस्था को चुनौती दी है.
डॉलर के मुकाबले 4 पैसे की कमजोरी के साथ खुला रुपया
याचिका में कहा गया है कि व्यभिचार से संबंधित कानून को नकारते हुए शीर्ष अदालत ने कहा था कि शादी करने के बाद महिला का निजता और गरिमा का अधिकार समाप्त नही हो जाता, ऐसे में किसी को भी साथ रहने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता. लॉ स्टूडेंट्स की तरफ से दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई के लिए सर्वोच्च अदालत तैयार है. अदालत ने इस मामले पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब देने के लिए कहा है.
सप्ताह के दूसरे दिन शुरुआती कारोबार में नजर आई 59.95 अंकों की गिरावट
गौरतलब है कि हिंदू/स्पेशल मैरिज एक्ट में जज को रेस्टीट्यूशन ऑफ कॉन्ज्यूगल राइट्स का आदेश देने का अधिकार है. हिंदू मैरिज एक्ट के सेक्शन 9 और स्पेशल मैरिज एक्ट के सेक्शन 22 के अनुसार पति या पत्नी रेस्टीट्यूशन ऑफ कॉन्ज्यूगल राइट्स के तहत अदालत में घसीट सकता है.
खबरें और भी:-
फिर ग्राहकों को खुश कर गई Airtel, एक साथ पेश किए 3 इंटरनेशनल रोमिंग प्लान्स