सुप्रीम कोर्ट ने सात राज्यों पर लगाया जुर्माना, ये हैं कारण
सुप्रीम कोर्ट ने सात राज्यों पर लगाया जुर्माना, ये हैं कारण
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नई दिल्लीः सर्वोच्च न्यायालय ने देश के सात राज्यों पर जुर्माना लगाया है। अदालत ने मानवाधिकार कोर्ट गठित करने पर जवाब सौंपने में असफल रहे सात राज्य़ों पर जुर्माना लगाया है। सर्वोच्च न्यायालय ने राजस्थान और उत्तराखंड को एक-एक लाख रुपये और तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, मेघालय और मिजोरम पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। अदालत ने बताया कि राजस्थान और उत्तराखंड ने न तो अपना जवाब सौंपा है और न ही उनके वकील सुनवाई के दौरान उपस्थित हुए।

न्यायाधीश दीपक गुप्ता और न्यायाधीश बीआर गवई की पीठ को कहा गया कि इन राज्यों ने अपना जवाब नहीं सौंपा है। पीठ ने कहा कि ये सभी राज्य चार सप्ताह में अपना जवाब सौंप सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने चार जनवरी 2018 को सभी राज्यों को मानवाधिकार कोर्ट का गठन करने के मुद्दे पर अपना जवाब सौंपने का निर्देश दिया था। मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 के अनुसार ऐसी न्यायालयों का गठन करना जरूरी है।सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से विशेष लोक अभियोजक नियुक्त करने के लिए भी कहा था।

मंगलवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को कहा गया कि दो मुद्दे, सभी राज्यों में मानवाधिकार कोर्ट का गठन और विशेष लोक अभियोजक की नियुक्ति हैं। पीठ ने पाया कि शीर्ष कोर्ट ने 25 जुलाई को अन्य मामले की सुनवाई करते हुए हर जिले में केंद्रीय वित्त पोषित कोर्ट गठित करने का निर्देश दिया था। ऐसी अदालतें उन जिलों में जहां यौन अपराध से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के तहत 100 से ज्यादा एफआइआर दर्ज हैं। विशेष रूप से बच्चों के साथ यौन अपराध के मामलों का निपटारा करने के लिए अदालत गठित करने को कहा गया था। सरकारें अक्सर अदालतों के आदेश का पालन करने में ढ़ीला ढ़ाला रूख अपनाते हैं।

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