नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में विधान सभा चुनाव बाद हुई हिंसा की SIT से जांच कराने, पीड़ितों को मुआवजा या आर्थिक सहायता देने और सुरक्षा मुहैया कराने की मांग वाली याचिका पर शीर्ष अदालत ने पश्चिम बंगाल और केन्द्र को नोटिस भेजा है. याचिका में सीएम ममता बनर्जी को भी पक्षकार बनाया गया है, मगर उन्हें कोई नोटिस नहीं जारी किया गया है.
दरअसल, पश्चिम बंगाल में विधान सभा चुनाव के परिणाम सामने आने के बाद कई शहरों, कस्बों और गांवों में हुई हिंसा, आगजनी और मनमानी की घटनाओं के पीछे जिम्मेदार लोगों और कारणों की जांच SIT द्वारा कराए जाने की मांग की गई है. इस पर अदालत ने केंद्र, पश्चिम बंगाल सरकार और निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है. शीर्ष अदालत में दायर याचिका में मांग की गई है कि केंद्र और राज्य सरकार को वैसे लोगों का पुनर्वास कराने के आदेश दिया जाएं, जो अपना घर छोड़कर असम या अन्य राज्यों में विस्थापित हो गए हैं. याचिका में केंद्र को राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने जैसे कदम उठाने के निर्देश देने की भी मांग की गई है.
इसके साथ ही याचिका में मांग की गई है कि केंद्र सरकार को राज्य में अर्धसैनिक बलों की तैनाती करने के आदेश दिए जाएं. साथ ही विधान सभा चुनाव के बाद 2 मई से आरंभ हुई सियासी हिंसा की कोर्ट की निगरानी में SIT से जांच और सभी पीड़ितों को मुआवजा देने के आदेश जारी करने की मांग भी की गई है.
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