'हिंदुत्व धर्म नहीं जीवनशैली है' पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
'हिंदुत्व धर्म नहीं जीवनशैली है' पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
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नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय का आज एक बड़ा फैसला आया है जिसमें सर्वोच्च न्यायालय की सात सदस्यीय संविधान पीठ ने आज स्पष्ट कर दिया कि कोर्ट के 1955 के उस फैसले पर पुनर्विचार नहीं करेगी, जिसमें कहा गया था 'हिंदुत्व धर्म नहीं बल्कि जीवनशैली है' .हिंदुत्व शब्द की दोबारा व्याख्या से सर्वोच्च न्यायालय की सात सदस्यीय पीठ ने इंकार कर दिया.

गौरतलब है कि जस्टिस जेएस वर्मा की अगुआई वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने दिसंबर 1995 में यह फैसला दिया था कि चुनाव में हिंदुत्व का इस्तेमाल गलत नहीं है क्योंकि हिंदुत्व धर्म नहीं बल्कि एक जीवन शैली है. तब कोर्ट ने कहा था कि हिंदुत्व शब्द भारतीय लोगों के जीवन पद्धति की ओर इशारा करता है. इसे सिर्फ उन लोगों तक सीमित नहीं किया जा सकता, जो अपनी आस्था की वजह से हिंदू धर्म को मानते हैं.

बता दें कि इस फैसले के अंतर्गत कोर्ट ने जनप्रतिनिधि कानून की धारा 123 के तहत हिंदुत्व के धर्म के तौर पर इस्तेमाल को 'भ्रष्ट क्रियाकलाप' मानने से इनकार कर दिया था. इस फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी.

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