नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ दिल्ली में हुए विरोध प्रदर्शन को लेकर जो फैसला दिया था, उस पर पुनर्विचार करने से शीर्ष अदालत ने खुद इनकार कर दिया है. बता दें कि इस मामले पर किसान आंदोलन के साथ सुनवाई करने की मांग की गई थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया है. अदालत ने कहा कि हमने सिविल अपील पर पुनर्विचार याचिका और रिकॉर्ड पर गौर किया है इसमें कोई खामी नहीं पाई गई है.
शीर्ष अदालत का कहना है कि काफी समय तक विरोध करके सार्वजनिक स्थान पर दूसरों के अधिकारों को प्रभावित नहीं किया जा सकता है. इसके अलावा अदालत ने कहा कि विरोध का अधिकार कभी भी और हर स्थान पर नहीं हो सकता है. उल्लेखनीय है कि CAA के खिलाफ शाहीन बाग में प्रदर्शन करने वाली महिलाओं की ओर से अर्जी दाखिल की गई थी. याचिका में याचिकाकर्ताओं की तरफ से कहा गया था कि अक्टूबर 2020 में शीर्ष अदालत की तरफ से दिए गए फैसले पर कोर्ट फिर से सुनवाई करे.
इससे पहले 11 फरवरी को अदालत ने RTI कार्यकर्ता अखिल गोगोई को जमानत देने से इनकार कर दिया था. गोगोई को असम में एंटी-CAA प्रोटेस्ट के दौरान UAPA के तहत गिरफ्तार किया गया था. असम में CAA के खिलाफ कथित हिंसक प्रदर्शन के मामले में अखिल गोगोई को दिसंबर 2019 में अरेस्ट किया गया था. फिलहाल वह गुवाहाटी सेंट्रल जेल में बंद है.
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