नई दिल्ली : यदि आपने फर्जी जाति प्रमाण पत्र से आरक्षण के तहत सरकारी नौकरी पाई है या दाखिला लिया है तो उसे कानून की दृष्टि से वैध नहीं माना जा सकता. यह फैसला सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार के साथ कई और याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया.
उल्लेखनीय है कि चीफ जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले को गलत माना जिसमें कहा गया था कि अगर कोई व्यक्ति लंबे समय से नौकरी कर रहा है और बाद में उसका जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाया जाता है तो उसे नौकरी में रखा जा सकता है. यहां सुप्रीम कोर्ट ने खुलासा किया कि इस आदेश को पिछली तारीख से लागू नहीं किया जा सकता है, इसलिए यह फैसला आगे आने वाले मामलों में ही प्रभावी माना जाएगा.
आपको बता दें कि सरकार ने संसद में पेश की गई जानकारी में स्वीकार किया था कि फर्जी जाति प्रमाण पत्र से नाैकरी पाने वाले 1832 लोगों की पहचान की गई थी .इनमें से अधिकांश सरकारी बैंकों और इंश्योरेंस कंपनियों में पदस्थ हैं.विभागीय मंत्री जितेंद्र सिंह द्वारा 29 मार्च को लोकसभा में दिए गए लिखित जवाब के अनुसार इन 1832 लोगों में से 276 को सस्पेंड या डिसमिस कर दिया गया है, 521 पर केस चल रहा है और 1035 के खिलाफ कार्रवाई होना बाकी है.
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