दिव्यांगों के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट ने कही बड़ी बात
दिव्यांगों के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट ने कही बड़ी बात
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नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने दिव्यांगों के अधिकार पर बड़ी टिप्पणी की है। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि दिव्यांग जनों को रोजगार के मौके सहानुभूति के तौर पर नहीं बल्कि उनके अधिकार के तौर पर उपलब्ध कराए जाने चाहिए। सर्वोच्च अदालत में न्यायमूर्ति.भानुमति और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने यह टिप्पणी राजस्थान उच्च न्यायालय के एक आदेश को खारिज करते हुए की।

राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपने प्रशासकीय हिस्से को दिव्यांग जनों के लिए आरक्षित सिविल जज के एक पद पर नियुक्ति के लिए एक ऐसे उम्मीदवार के आवेदन पर विचार करने का निर्देश दिया था, जिसने दिव्यांग होने के बावजूद अपने आवेदन में खुद को सामान्य श्रेणी का दर्शाया था। नीतू हर्ष नाम की यह आवेदक दृष्टिबाधित थी। इसके बावजूद उसने सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार के तौर पर ही मुख्य परीक्षा तथा उसके बाद इंटरव्यू में भी सफलता हासिल की थी।

 इस दौरान उसने अपना दिव्यांगता प्रमाणपत्र पेश नहीं किया था। परिणाम घोषित होने पर नीतू 136 अंकों के साथ 137वें नंबर पर रही थी। मगर दिव्यांग जनों के लिए आरक्षित दो रिक्तियों के सापेक्ष एक अन्य दिव्यांग उम्मीदवार ने 138 अंकों के साथ 57वां स्थान हासिल किया था। नीतू हर्ष ने खुद को दिव्यांग श्रेणी में रखे जाने के आग्रह वाला आवेदन पेश किया।

हालांकि उनका आवेदन निरस्त कर दिया गया। नीतू हर्ष ने इसके बाद राजस्थान हाईकोर्ट में अपील की थी। उच्च न्यायालय ने नीतू के आवेदन पर सहानुभूतिपूर्ण विचार करते हुए उन्हें दिव्यांग श्रेणी के तहत मानने का निर्देश अपने प्रशासकीय तंत्र को दिया था। लेकिन शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को हाईकोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया।

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