'मजदूरों से न लिया जाए ट्रेन या बस का कोई किराया, राज्य सरकार करे भुगतान - सुप्रीम कोर्ट
'मजदूरों से न लिया जाए ट्रेन या बस का कोई किराया, राज्य सरकार करे भुगतान - सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली: प्रवासी श्रमिकों के मुद्दों पर आज शीर्ष अदालत में अहम सुनवाई हुई और सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश दिए. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि श्रमिकों से ट्रेन या बस का कोई किराया न लिया जाए, राज्य सरकार किराया दे. आदेश में कहा गया है, ''जो जहां फंसा है उसे वहां कि राज्य सरकार खाना दे. उन तक जानकारी पहुंचाई जाए कि मदद कहां उपलब्ध है.''

सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुई हैं. उन्हें बार बार मीडिया में दर्शाया गया. ऐसा नहीं कि सरकार कदम नहीं उठा रही है. जिस पर शीर्ष अदालत ने कहा कि हम यह नहीं कह रहे कि सरकार कुछ नहीं कर रही. किन्तु ज़रूरतमंदों तक सहायता पहुंच नहीं पा रही है. न्यायाधीश ने पूछा कि किराया कौन दे रहा है? सॉलिसीटर ने कहा कि, मैं इसका जवाब विस्तार से दूंगा. या तो यात्रा का शुरुआती राज्य या अंतिम राज्य पैसे दे रहा है. सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि ट्रेन को सफर से पहले लगातार सैनिटाइज़ किया जाता है. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन होता है. पहला भोजन राज्य सरकार देती है. आगे रेलवे भोजन और पानी देता है. अब तक रेलवे ने 84 लाख थाली और तक़रीबन 1.5 करोड़ रेल नीर मुहैया करवाया है. उनको गंतव्य तक पहुंचने के लिए राज्य सरकार बस दे रही है.

उन्होंने कहा कि आवश्यकता के अनुसार क्वारंटीन किया जा रहा है. क्वारंटीन अवधि में राज्य सरकार आश्रय, भोजन आदि मुहैया करवा रही है. यह मियाद पूरी होने के बाद फिर राज्य सरकार बस से उनके घर पहुंचाती है. रेलवे भी MEMU ट्रेन चलकर इस काम मे सहायता दे रही है. ऐसी 350 ट्रेन चली है जो राज्य के अंदर ही चलती है.

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